नई दिल्ली। बेहतरीन स्लिप फील्डर और आक्रामक बल्लेबाज के बाद शानदार कप्तान और एक सफल कोच बनकर भारतीय क्रिकेट के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व कप्तान अजीत वाडेकर के क्रिकेट करियर की शुरुआत एक बस के सफर से हुई थी। वाडेकर को इस बात का इल्म भी नहीं था कि यहां से उनका एक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी बनने का सफर शुरू होने जा रहा है, क्योंकि वे इंजीनियर बनने की राह पर थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वेबसाइट ईएसपीएन की रिपोर्ट के अनुसार, एक साक्षात्कार में वाडेकर ने अपने जीवन की कई अनछुए पहलुओं पर चर्चा की। उल्लेखनीय है कि मुंबई के एक अस्पताल में बुधवार को वाडेकर का लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया। वे 77 साल के थे। क्रिकेट करियर की शुरुआत के बारे में पूछे जाने पर रोमांचक कहानी सुनाते हुए वाडेकर ने कहा कि वे भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी बालू गुप्ते के साथ बस में एलिफिंस्टोन कॉलेज जा रहे थे।
उन्होंने कहा, हम दोनों एक ही कॉलेज में थे। वे मुझसे दो साल सीनियर थे और आट्र्स में थे और मैं साइंस में था। मैंने क्रिकेट भी नहीं खेला था। मुझे तो इंजीनियर बनना था। वाडेकर ने कहा, बालू मेरे पड़ोसी थे और इसीलिए, हम एक ही बस से कॉलेज जाते थे। एक दिन उन्होंने मुझे कहा अजीत क्या तुम हमारी कॉलेज क्रिकेट टीम के 12वें खिलाड़ी बनोगे? उनकी अंतिम एकादश बेहतरीन थी, लेकिन उनके पास मैदान पर पानी ले जाने वाला खिलाड़ी नहीं था।
उन्होंने कहा कि मुझे इसके लिए एक दिन के तीन रुपए भी मिलेंगे। 1957 में तीन रुपए की कीमत बहुत होती थी। यहीं से मैंने क्रिकेट में कदम रखा। पूर्व भारतीय खिलाड़ी वाडेकर ने इसके बाद कॉलेज में क्रिकेट खेलना शुरू किया और वहां उनकी मुलाकात सुनील गावस्कर के अंकल माधव मंत्री से हुई। अपनी पढ़ाई के बाद वे काफी देरी से अभ्यास के लिए मैदान पर पहुंचते थे। माधव ने वाडेकर को नेट पर बल्लेबाजी करने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने कॉलेज टीम के कप्तान को कहा कि वाडेकर टीम में नियमित रूप से खेलते रहेंगे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा।
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