संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुक्रवार को राजनयिकों ने जून महीने में आयोजित हो रहे एक अहम अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियों के सिलसिले में बैठक की है, जिसका उद्देश्य इसराइल-फ़लस्तीन टकराव का दो-राष्ट्र समाधान हासिल करने के लिए वैश्विक प्रयासों में तेज़ी लाना है. इस तैयारी सत्र में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश एक साथ जुटे, ताकि सम्मेलन के लिए अपेक्षाएँ तय की जा सकें और आठ विषयगत गोलमेज़ चर्चाओं के फ़्रेमवर्क को अन्तिम रूप दिया जा सके. इस फ़्रेमवर्क से सम्मेलन के नतीजों को आकार देने में मदद मिलेगी.संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग ने सभी देशों से इस अहम अवसर का लाभ उठाने और वास्तविक प्रगति की दिशा में क़दम बढ़ाने की अपील की. Tweet URL
उन्होंने कहा, “ग़ाज़ा में पिछले 19 महीनों से, हमने जो भयावह घटनाएँ देखी हैं, उन्हें हमें इसराइल-फ़लस्तीन टकराव को समाप्त करने के लिए त्वरित कार्रवाई के लिए प्रेरित करना चाहिए. मौत, तबाही और विस्थापन के इस विनाशकारी चक्र जारी नहीं रहने दिया जा सकता है.” “इस हिंसक टकराव को न तो स्थाई युद्ध से हल किया जा सकता है, और न ही अन्तहीन क़ब्ज़े या छीन कर विलय करने से. यह तभी समाप्त होगा जब इसराइली और फ़लस्तीनी, अपने-अपने स्वतन्त्र और सम्प्रभु देशों में, शान्ति, सुरक्षा व गरिमा के साथ एक-दूसरे के पड़ोसी बनकर रह सकें.” ठोस परिणाम ज़रूरीसम्मेलन की सह-अध्यक्षता कर रहे फ़्राँस और सऊदी अरब ने ज़ोर दिया कि जून में होने वाला सम्मेलन सिर्फ़ सैद्धान्तिक पुष्टि तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस नतीजे भी मिलने चाहिए.मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका मामलों के लिए फ़्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ की सलाहकार ऐन-क्लेयर लेजेन्द्रे ने कहा, “अब हमें शब्दों से आगे बढ़कर कार्रवाई करनी होगी. हमें सिर्फ़ ग़ाज़ा में युद्ध समाप्त करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इस पूरे टकराव को समाप्त करने की दिशा में बढ़ना होगा.”उन्होंने कहा, “ज़मीनी हालात को देखते हुए, फ़लस्तीनी राष्ट्र की सम्भावना को बनाए रखना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए अपरिवर्तनीय क़दम और ठोस कार्रवाई आवश्यक हैं.”ऐतिहासिक क्षणसऊदी अरब के वार्ता समूह के प्रमुख, मनाल बिन्त हसन रदवान ने इस क्षण को "ऐतिहासिक" बताया और कहा कि यह तैयारी बैठक आत्ममंथन के लिए नहीं, बल्कि कार्रवाई की दिशा तय करने के लिए होनी चाहिए.“आम नागरिक आज भी एक ऐसे युद्ध की क़ीमत चुका रहे हैं जिसे तुरन्त समाप्त किया जाना चाहिए. पश्चिमी तट में बढ़ता तनाव भी उतना ही चिन्ताजनक है. हर दिन के साथ निराशा गहराती जा रही है.” उन्होंने कहा कि अब हमें सिर्फ़ युद्ध समाप्त करने की नहीं, बल्कि उस टकराव को समाप्त करने की भी बात करनी चाहिए जो लगभग आठ दशकों से चला आ रहा है.उनके अनुसार, लड़ाई रोकने और बन्धकों व हिरासत में रखे गए लोगों की रिहाई के प्रयास, एक विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय राजनैतिक योजना पर आधारित होने चाहिए. ऐसी योजना जो टकराव के बुनियादी कारणों को मिटाए और शान्ति, गरिमा व साझा सुरक्षा की दिशा में एक वास्तविक राह दिखाए.महासभा ने अपने प्रस्ताव ES-10/24 के तहत इस सम्मेलन को आयोजित करने का निर्णय लिया, जिसकी विस्तृत जानकारी प्रस्ताव 79/81 में दी गई है. इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप एक समग्र, न्यायपूर्ण और स्थाई शान्ति के लिए स्पष्ट रास्ता तय करना है.सम्मेलन में क्या होगा?सम्मेलन में एक पूर्ण सत्र (Plenary Session) आयोजित किया जाएगा, जिसमें महासभा के अध्यक्ष, संयुक्त राष्ट्र महासचिव और सह-अध्यक्षों के वक्तव्य होंगे, जिसके बाद सदस्य देशों के प्रतिनिधि और पर्यवेक्षक अपनी बात रखेंगे.इसके अलावा, सम्मेलन में आठ विषय-आधारित गोलमेज़ चर्चा भी होगी, जोकि दो-राष्ट्र समाधान के विभिन्न पहलुओं पर केन्द्रित होंगी.इनमें इसराइली और फ़लस्तीनी नागरिकों के लिए सुरक्षा व्यवस्था, फ़लस्तीनी राज्य की आर्थिक व्यवहार्यता, मानवीय सहायता कार्रवाई तथा पुनर्निर्माण जैसे विषय शामिल होंगे.
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