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भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की जीवन रक्षा में बड़ी छलांग

 - World News in Hindi

भारत ने पाँच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में महत्वपूर्ण कमी हासिल की है. यह उपलब्धि भारत के लिए एक मील का पत्थर है, और देश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार व बच्चों के जीवन की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है. संयुक्त राष्ट्र बाल मृत्यु अनुमान समूह (UN IGME) की हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने, पाँच साल से कम आयु के बच्चों की जीवन रक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है.रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, वर्ष 2015 से 2023 के बीच, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर, प्रति 1,000 पर, 48 से घटकर 28 पर आ गई है.इसी अवधि में नवजात शिशु मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो 28 से घटकर 17 प्रति 1,000 पर आ गई है.यह गिरावट भारत में लाखों बच्चों की ज़िन्दगियों को बचाने के लिए किए गए, व्यापक और निरंतर प्रयासों का सशक्त प्रमाण है.2015 में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की शुरुआत के बाद से, भारत में पाँच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 42% की कमी हासिल की गई है. जोकि दक्षिण एशिया में 33% और विश्व स्तर पर 14% के औसत से अधिक है. नवजात शिशु मृत्यु दर में 39% की कमी हासिल की गई है, जो दक्षिण एशिया के लिए 28% और विश्व स्तर पर 11% से बेहतर है.स्वास्थ्य तंत्र की मज़बूतीरिपोर्ट कहती है कि भारत की इस सफलता के पीछे बहुस्तरीय और बहु-क्षेत्रीय रणनीतियों का समन्वय है. स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत बनाना, जीवन रक्षक कार्यक्रमों की पहुँच बढ़ाना, माताओं और बच्चों को जीवनभर स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करना - ये सभी प्रयास इस परिवर्तन के मूल में हैं.स्वच्छ भारत मिशन और पोषण अभियान जैसी योजनाएँ, मातृ और बाल स्वास्थ्य को सशक्त बनाने में सहायक रही हैं. विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना मानी जाने वाली आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाखों परिवारों को मुफ़्त मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाती हैं. इसमें संस्थागत प्रसव, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, निदान, पोषण सहायता और स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों के माध्यम से प्राथमिक देखभाल शामिल है.प्रशिक्षण और नवाचार की भूमिकाभारत ने घरों में सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित प्रसव सहायकों की तैनाती को प्राथमिकता दी है. गुणवत्तापूर्ण नवजात और बाल देखभाल के लिए मानव संसाधन का प्रशिक्षण और वितरण एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है.भारत, इसके साथ ही डेटा-संचालित निर्णय, डिजिटल निगरानी प्रणालियों का उपयोग और अग्रणी अनुसंधान की सहायता से, अपनी नीतियों को लगातार बेहतर बना रहा है. उद्देश्य है - रोकथाम योग्य बाल मृत्यु दर को और कम करना.यूनीसेफ़ की साझेदारीभारत की इस प्रगति में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), भारत सरकार का अहम साझीदार रहा है. भारत में यूनीसेफ़ की प्रतिनिधि, सिंथिया मैक्कैफ़्री ने भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को बधाई देते हुए कहा, “बाल मृत्यु दर में कमी लाने का भारत का सफ़र इस बात का सशक्त प्रमाण है कि प्रतिबद्धता, निवेश और समन्वित कार्रवाई के ज़रिये बच्चों को जीवनदान देना सम्भव है.”उन्होंने कहा, “यूनीसेफ़ में हम हर बच्चे को जीवित रहने और समृद्ध होने का अवसर देने, हर माँ को गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक पहुँच उपलब्ध कराने और किसी भी समुदाय को पीछे नहीं छोड़ने की हमारी साझा प्रतिबद्धता पर अटल हैं.”

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