लक्ष्मी नारायण शर्मा, झांसी।
बुन्देलखण्ड के झांसी जनपद का एरच कस्बा ऐतिहासिक और धार्मिक रुप से
विशेष महत्व रखता हैं। जिला मुख्यालय से लगभग अस्सी किलोमीटर दूर
स्थित इस स्थान पर कई ऐसे अवशेष मौजूद हैं जिनके आधार पर इसे
हिरण्यकश्यप की राजधानी माना जाता है। इतिहास के कई जानकार दावा करते
हैं कि होली पर्व की शुरुआत इसी एरच कस्बे से हुई थी। [ अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
झांसी जनपद के गजेटियर में दर्ज विवरण के मुताबिक एरच कस्बा एक ऐतिहासिक नगर
है जहां से होली की शुरुआत हुई थी। एरच के पास बेतवा नदी के किनारे
के बसे डिकोली गांव को ऐतिहासिक डेकांचल पर्वत से जोडकर देखा जाता है।
स्थानीय मान्यता है कि इसी डेकांचल पर्वत से प्रहलाद को नदी में फेंका गया
था। यहां महल के भी अवशेष हैं जिसे हिरण्यकश्यप का महल बताया जाता
है। जानकार दावा करते हैं कि इसी महल के पास होलिका प्रहलाद को अपनी गोद
में लेकर आग में बैठी थी।
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि हिरण्यकश्यप के वध के बाद इस स्थान पर
देवताओं और दानवों की पंचायत हुई थी। इस पंचायत में दोनों पक्षों के लोगों ने
एक दूसरे को रंग अबीर लगाकर दुश्मनी मिटाने का संदेश दिया था। उसी
समय से होली की शुरुआत हुई मानी जाती है। इस स्थान
पर स्थित मंदिर में नरसिंह भगवान की मूर्तियां मौजूद हैं जिन्हें देखने के
लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
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