• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

देश के 74 प्रतिशत लोगों ने माना, समाचार चैनल मनोरंजन का साधन बन चुके हैं

74 percent Indians do not bank on news channels for real news - India News in Hindi

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी ने भारत के नए मीडिया परिदृश्य को दर्शाया है। देश के लगभग 74 प्रतिशत भारतीय समाचार चैनलों को वास्तविक समाचार के बजाय मनोरंजन का एक स्रोत मान रहे हैं। इन लोगों का मानना है कि न्यूज चैनलों पर असली व उचित खबर दिखाने से कहीं अधिक ये मनोरंजन का साधन बन चुके हैं। आईएएनएस सी-वोटर मीडिया कंजम्पशन ट्रैकर के हालिया निष्कर्षों में यह बात सामने आई है।
यह टेक्स्ट आधारित मीडिया को पुनर्जीवित करने वाली चीज है।

यह सर्वविदित है कि सामाजिक दूरी और राष्ट्रव्यापी बंद के उपायों ने सामान्य मनोरंजन चैनलों की उत्पादन क्षमता को भी प्रभावित किया है। सर्वेक्षण में सामने आया है कि यही कारण है कि 'ताजा' रचनात्मक सामग्री के अभाव में भी दर्शकों ने एक रियलिटी शो के तौर पर न्यूज कवरेज का रुख किया।

इस सर्वेक्षण में सभी राज्यों में स्थित सभी जिलों से आने वाले 5000 से अधिक उत्तरदाताओं से बातचीत की गई है। यह सर्वेक्षण वर्ष 2020 में सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान किया गया है।

सर्वेक्षण में शामिल लोगों से जब यह पूछा गया कि क्या वह इस कथन को मानते हैं कि 'भारत में न्यूज चैनल समाचार परोसने की तुलना में अधिक मनोरंजन पेश करते हैं', इस पर 73.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सहमति व्यक्त की।

न्यूज चैनलों को टीवी सीरियल (डेली सोप) के समानांतर पाया गया

सर्वेक्षण में शामिल लोगों के जवाब से सामने आया है कि अधिकतर लोग समाचार चैनलों को टीवी पर आने वाले धारावाहिक के समान मानते हैं। यानी वह दोनों कार्यक्रमों को एक ही एंगल से देखते हैं।

सर्वे में शामिल देश के 76.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि टीवी धारावाहिक और टीवी समाचार चैनल सभी चीजों को सनसनीखेज और आघात पहुंचाने वाला कर देते हैं। हालांकि 20 प्रतिशत लोग इस बात से असहमत दिखे।

- डिबेट बनाम चीखना-चिल्लाना

सर्वे में यह भी देखने को मिला कि अधिकतर लोगों का यह मानना है कि न्यूज चैनलों पर दिखाई जाने वाली सामग्री में गंभीरता की कमी है और वहां उचित बहस न होकर अनावश्यक तरीके से झगड़े देखने को मिलते हैं।

देश के 76 प्रतिशत लोगों को लगता है कि समाचार चैनलों पर उचित बहस (डिबेट) न होकर अनावश्यक झगड़ा होता है। सर्वेक्षण में 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि विचारों के सार्थक आदान-प्रदान के बजाय टेलीविजन डिबेट पर झगड़ा अधिक होता है।

उत्तरदाताओं का विचार है कि ये बहस अक्सर पहले विश्व युद्ध की शैली पर आधारित होती हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से पहचाने जाने वाले लड़ाके (वाद-विवादकर्ता) दूसरी तरफ के व्यक्ति पर और भी अधिक जोर से चीखने-चिल्लाने में विश्वास रखते हैं।

आईएएनएस सी-वोटर के सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से पूछा गया कि क्या वे वास्तव में मानते हैं कि टीवी न्यूज चैनल पर वास्तविक बहस की तुलना में लड़ाई-झगड़ा और चीख-पुकार अधिक होती है। इस पर सर्वे में शामिल 76 प्रतिशत ने सहमति व्यक्त की।

- अब आगे क्या?

यह स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है कि भारतीय टेलीविजन समाचार चैनलों की विश्वनीयता घट रही है। सर्वेक्षण में भी इसी तरह के नतीजे सामने आए हैं।

कोविड-19 महामारी ने भारत के नए मीडिया परिदृश्य को दर्शाया है। देश में 54 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है कि वह टीवी समाचार चैनलों को देखकर थक चुके हैं। वहीं 43 प्रतिशत भारतीय इस बात से असहमत हैं।

लगभग 55 प्रतिशत पुरुषों ने सहमति व्यक्त की कि वे भारतीय समाचार चैनलों को देखकर थक गए हैं, जबकि लगभग 52 प्रतिशत महिलाओं ने इस तरह की राय व्यक्त की है। (आईएएनएस)

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-74 percent Indians do not bank on news channels for real news
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: 74 percent indians do not bank on news channels for real news, news channels, real news, 74 percent indians, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

1 / 45

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री एवं सभी तरह के विवादों का न्याय क्षेत्र जयपुर ही रहेगा।
Copyright © 2025 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved