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जयपुर। नेट थिएट कार्यक्रमों की श्रंखला में शुक्रवार को प्रोग्रेसिव फॉर्म की ओर से नाटक 'जंबूरा' का प्रभावशाली मंचन किया गया। नाटक को लिखा है डॉ. संजीव चौधरी ने और इसका निर्देशन किया डॉ. गिरीश कुमार यादव ने।
नेट थिएट संयोजक राजेंद्र शर्मा 'राजू' ने बताया कि नाटक की प्रस्तुति में कलाकार राशिक परिहार, प्रवीण लश्कर, विवेक जाखड़, स्थित पांडे, मोहित सिंघल, फैजान खान और राहुल कुमावत ने सशक्त अभिनय से मंच पर जान फूंकी।
नाटक 'जंबूरा' का सार मानव जीवन की उस यात्रा को दर्शाता है, जिसमें वह शून्य से सृष्टि की ओर बढ़ा, आदिकालीन असभ्यता से लेकर आज के तथाकथित आधुनिक समाज तक पहुँचा। नाटक में यह सवाल उठाया गया कि क्या मनुष्य फिर से उसी संस्कारविहीन आदिकाल की ओर लौट रहा है, जहाँ न सत्य था न असत्य, न धर्म, न जाति—केवल अस्तित्व की लड़ाई थी?
नाटक के माध्यम से यह करारा कटाक्ष किया गया कि किस तरह मनुष्य अब सत्ता और स्वार्थ की भूख मिटाने के लिए अपने ही जैसे मनुष्यों का शिकार करने लगा है। वह जो कभी नैतिकता, सम्मान और अहिंसा के मूल मंत्रों को आत्मसात कर सभ्यता की ओर बढ़ा था, आज उन्हीं मूल्यों को पीछे छोड़ कर अपनी ही जाति का दुश्मन बनता जा रहा है।
मंच पर गरिमा सिंह राजावत की वेशभूषा संयोजना उल्लेखनीय रही। मंच सज्जा और दृश्यों को सजीव बनाने में विवेक जाखड़ और फैजान खान का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पार्श्व संगीत की जिम्मेदारी मोहित सिंघल और निशांत साहू ने निभाई जबकि प्रकाश सज्जा सावन कुमार जांगिड़ के निर्देशन में बेहतर रही।
कैमरा और लाइट्स का संचालन मनोज स्वामी ने किया तथा पूरे कार्यक्रम का संयोजन नवल डांगी ने संभाला।
नाटक 'जंबूरा' ने न सिर्फ दर्शकों को अपने अभिनय व प्रस्तुति से बाँधे रखा बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी पर गंभीरता से सोचने के लिए भी विवश किया।
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