नूंह। जिला मुख्यालय नूंह स्थित सेठ चुहिमल का तालाब अपनी खूबसूरती के साथ-साथ गुबंद में की गई चित्रकारी के लिए खासी पहचान रखता है। इस बरसों पुराने तालाब की खासियत है कि आज तक इसका पानी नहीं सूखा है। एक पर्यटन स्थल के तौर पर इसका आसानी से इस्तेमाल हो सकता है लेकिन लगता है कि इस एतिहासिक तालाब की सफाई से लेकर सबको लुभाने वाली खूबसूरत छतरियों को प्रशासन और सरकार पूरी तरह भूल गई। मेवात जिला 2005 में बना लेकिन आज तक कोई भी ऐतिहासिक स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया। आबादी में आ जाने की वजह से अब इस साफ-सुथरे तालाब में गंदगी का आलम छाया हुआ है। अगर सेठ चुहिमल तालाब को सरकार पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करे तो मेवात के लोगों की सुविधा के साथ -साथ सरकार को राजस्व की बढ़ोतरी ही नहीं इतिहास को भी जिंदा रखा जा सकेगा।
क्या है सेठ चुहिमल का तालाब का इतिहास -
जैसा कि पता चल पाया है, सेठ चुहिमल ने आज से सैंकड़ों साल पहले तालाब और गुंबद के साथ -साथ गुफा को आरामगाह के लिए बनवाया था। गुंबद के अंदर जो विशाल गुफा है, वह सैकड़ों मीटर दूर सेठ चुहिमल के महल तक जाती है। तालाब में स्नान करने के लिए गुफा से जाते थे और स्नान के बाद गुंबद की छतरी पर धूप सेंकते थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस तालाब के आसपास गुंबद पर जो चित्रकारी की गई है, ऐसी चित्रकारी अजंता-एलोरा की गुफाओं में देखने को मिलती हैं। समय तेजी से बदला और सरकार भी तालाब की सूरत बदलना भूल गई।
आगे क्या हो सकता है -
मेवात जिले में ऐतिहासिक इमारतों की कमी नहीं है। जिला मुख्यालय नूंह में होने की वजह से इसे आसानी से पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। पुरातत्व विभाग ने भी मेवात की किसी भी एतिहासिकता को गंभीरता से नहीं लिया। अगर पुरातत्व विभाग और सरकार का यही रवैया रहा तो ऐतिहासिक इमारतों का वजूद समाप्त हो जायेगा और आने वाली पीढ़ियां इन इमारतों को महज किताबों में ही देख सकेंगे।
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