इस चुनाव में टीएमसी ने जरूर चार सीटें भाजपा से ज्यादा ली है लेकिन वह
अपनी जमीन खिसकती नजर आने से घबरा गई है। पहली भाजपा ने इतनी सीटें जीतकर
राजनीति चिंतकों को हैरान कर दिया है। एक तरफ टीएमसी खुद को बंगाली प्राइड
से जोड़ती रही है तो दूसरी तरफ भाजपा ने खुद को बंगाली समाज के हितों से
जोड़ने का प्रयास में लगी हुई है।
इसके साथ ही भाजपा ने यहां
नौकरियों के अवसर पैदा करने, नागरिक संशोधन विधेयक लाने और नेशनल रजिस्टर
ऑफ सिटिजंस तैयार करने का वादा कर दिया है। इससे भी पार्टी को कुछ बढ़त
मिलने की उम्मीद है। ये मुद्दे राष्ट्रवाद, पहचान और जरूरत से जुड़े हुए
हैं।
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