गोण्डा। जिले में हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। घाघरा और सरयू नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। घाघरा नदी का जलस्तर 79 सेंटीमीटर और सरयू नदी का जलस्तर 59 सेंटीमीटर ऊपर पहुँच चुका है, जिसके परिणामस्वरूप जिले की दो तहसीलों के 36 गाँव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने 63,983 लोगों और 18,666 पशुओं को प्रभावित किया है।
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गांवों में बाढ़ से उत्पन्न संकट को देखते हुए प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज कर दिया है। मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन ने सोमवार की देर शाम बाढ़ चौकियों और राहत कैंपों का निरीक्षण किया। उन्होंने ऐलीपरसौली गाँव के प्राथमिक विद्यालय में स्थापित कैंप का दौरा किया और बाढ़ पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याएँ सुनीं। जैन ने कैंप में रह रहे लोगों को लंच पैक वितरित किए और सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं की जानकारी ली।
अपर जिलाधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ और पीएसी फ्लड की टीमों को तैनात किया गया है। राहत कार्यों के लिए 194 नावें काम में लाई जा रही हैं। कटान से प्रभावित 115 लोगों को मुआवजा भुगतान किया गया है। 10,140 राहत किट्स की व्यवस्था की गई है और 68,576 लंच पैक वितरित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से ओआरएस और क्लोरीन की गोलियाँ बाँटी जा रही हैं और कैंपों के माध्यम से 9,447 लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।
प्रशासनिक अमला लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए है और बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है। राहत कार्यों को और प्रभावी बनाने के लिए अधिकारियों ने स्थानीय निवासियों से सहयोग की अपील की है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि प्रभावितों को जल्द से जल्द राहत पहुँचाई जा सके।
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