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जल बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी : परशुराम धानका

Saving water is the responsibility of every citizen: Parshuram Dhanka - Tonk News in Hindi

टोंक। गंगा दशहरा एवं विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शुरू हुए वंदे गंगा-जल संरक्षण जन अभियान के आठवें दिन गुरुवार को उपखंड पीपलू की ग्राम पंचायत बोरख्ंाडीकलां में कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिला परिषद के सीईओ परशुराम धानका ने कहा कि पानी की बचत और उसके स्त्रोतों का संरक्षण करना बेहद जरूरी है। पृथ्वी पर आज पीने योग्य जल सीमित मात्रा में है और इसकी खपत लगातार बढ़ रही है। मनुष्य द्वारा जल का अत्यधिक दोहन और बर्बादी, जल प्रदूषण, वनों की कटाई, शहरीकरण और बारिश का जल संग्रहण नहीं करना गंभीर खतरे के संकेत है। सीईओ ने कहा कि जल बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने बूंद-बूंद से सागर बनता है, हर बूंद को बचाना ही जल संरक्षण है पंक्ति से सभी को जल बचाने का आह्वान किया।


उपखंड अधिकारी गणराज बड़गौतिया ने कहा कि अगर आज हम पानी नहीं बचाएंगे तो आने वाली पीढ़िया इसका खामियाजा भुगतेंगी। हमें विरासत में हरी-भरी धरती और समृद्ध जीवन उन्हें देना है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने क्षेत्र के कृषकों से संवाद करते हुए कहा कि आप आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ’जल है तो कल है, के संकल्प के साथ जल संरक्षण के सामूहिक प्रयास करें। सोलंकी ने कृषकों को जैविक खेती के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जैविक कृषि वह विधि है जो कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। इसके साथ ही, संयुक्त निदेशक ने सूक्ष्म सिंचाई पद्धति के बारे में बताया कि यह एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है जिसमें पौधों के जड़ क्षेत्र में सीधे पानी पहुंचाने के लिए कम दबाव और कम प्रवाह दर का उपयोग किया जाता है। इस प्रणाली में ड्रिप सिंचाई, माइक्रो-स्प्रे, और अन्य तकनीकें शामिल हैं जो पानी को बर्बाद होने से बचाती हैं और फसलों को अधिक कुशलता से पानी देती हैं।

कार्यक्रम में आत्मा के परियोजना निदेशक दिनेश कुमार बैरवा ने कहा कि हम रोज छोटी-छोटी आदतों में सुधार कर पानी की बचत कर सकते है। वर्मी कम्पोस्ट तकनीकी के बारे में कहा कि वर्मी कम्पोस्ट आज की सघन खेती के युग में भूमि की उर्वराशक्ति बनाये रखने के लिए अति आवश्यक है। परियोजना निदेशक बैरवा ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है।

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक चंद्रप्रकाश बढ़ाया ने बताया कि उद्यान की खेती में कम भूमि में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। बाजार में इसकी मांग अधिक और मूल्य बेहतर प्राप्त होता है। उन्होंने उद्यानिकी खेती के लिए जलवायु और मिट्टी के चयन, सिंचाई प्रणाली, प्रशिक्षण और छंटाई, कीट और रोग नियंत्रण समेत भारत सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना की विस्तार से जानकारी दी। जिला परिषद सदस्य छोगालाल गुर्जर ने जल जीवन का आधार है। यदि जल नहीं है तो मानव अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। जल संरक्षण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों में हम सभी को अपनी भागीदारी निभानी चाहिए। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र वनस्थली के वैज्ञानिक बंशीधर चौधरी, ग्राम पंचायत प्रशासक ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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Web Title-Saving water is the responsibility of every citizen: Parshuram Dhanka
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