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जयपुर। शहर के करतारपुरा नाले को लेकर राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को जबरदस्त बहस देखने को मिली। भाजपा विधायक कालीचरण सर्राफ और यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सराफ ने आरोप लगाया कि नाले के नाम पर प्रशासन 500 घरों पर लाल निशान लगा चुका है, जिससे लोगों में भय का माहौल है। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी कीमत पर घर नहीं तोड़ने देंगे।
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत 2018 में करतारपुरा नाले के सुधार की योजना बनाई गई थी। अब संशोधित कार्य योजना तैयार कर कोर्ट में पेश की जाएगी, ताकि कम से कम लोगों को नुकसान हो।
"जनता को तब पता चलता है जब लाल निशान लग जाते हैं"
भाजपा विधायक सराफ ने कहा कि नाले को सुधारने के बजाय लोगों के घर तोड़ने का फैसला गलत है। उन्होंने मांग की कि इलाके में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाए, जिससे समस्या स्थायी रूप से हल हो। सराफ ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में इस प्रोजेक्ट के लिए 21 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे यह कहकर बंद कर दिया कि जमीन उपलब्ध नहीं है।
"30 कॉलोनियों के लोग बदबू से परेशान हैं"
सराफ ने कहा कि करतारपुरा नाले की सफाई न होने से इलाके में बदबू की समस्या बनी हुई है और 30 कॉलोनियों के लोग परेशान हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और तोड़फोड़ के बजाय वैकल्पिक समाधान निकाले।
इस मुद्दे पर बहस के बाद यूडीएच मंत्री ने आश्वासन दिया कि हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप संशोधित कार्य योजना पेश की जाएगी, जिससे प्रभावित परिवारों पर कम से कम असर पड़े।
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