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नीति गोपेन्द्र भट्ट
महान स्वतंत्रता सैनानी दिवंगत पंडित लालाराम जी वाजपेयी एक महान दार्शनिक,चिंतक और राजनेता,शून्य से शिखर तक की यात्रा पूर्ण करने वाले विंध्यक्षेत्र के लौहपुरुष थे। अक्षय तृतीया को जन्म लेने वाले ये महापुरुष साहस और संघर्ष का अद्भुत उदाहरण थे। वे अपनी विलक्षण प्रतिभा, राजनैतिक कौशल,अप्रतिम प्रशासनिक क्षमता एवं सह और मात के खेल में महारत होने के बलबूते पर मध्य भारत में अनेक पदों पर आसीन रहे। उनका गौरवशाली और यशस्वी जीवन आत्म स्वाभिमान और बेजोड़ संस्कारों का साक्षी रहा।
पंडित लालाराम जी वाजपेयी को उनके द्वारा किये गये सद्कर्मो और हाजिर जवाबी के लिए अक्षय कीर्ति मिली। अक्षय तृतीया को पंडित लाला राम जी वाजपेयी की 116 वीं जयंती उनका स्मरण करना बहुत प्रासंगिक है।
एक कर्म योगी के रूप में 100 वर्ष की आयु (सन् 1908 से 2008 तक ) प्राप्त करने वाले वाजपेयी रियासत काल में ओरछा रियासत के प्रधान मंत्री रहें । वे स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित भाव से कूद पड़ने वाले एक त्यागी और निस्पृह व्यक्ति तो थे ही आज़ाद भारत में विंध्य प्रदेश के गृह मंत्री के रूप में कार्य करने के अतिरिक्त उन्होंने अनेकों बार विधायक और सांसद रहते हुए अपनी पहचान एक स्वाभिमानी राजनीतिज्ञ के रूप में बनाई ।स्व.वाजपेयी जी भारत की स्वतंत्रता के पूर्व सन् 1945 में मघ्य भारत में देशी राज्य परिषद के प्रधानमंत्री, ओरछा राज्य के मुख्यमंत्री, विंघ्य के लोक निर्माण मंत्री,गृहमंत्री, विधायक, कांग्रेस के उच्च पदाधिकारी, निवाड़ी महाविद्यालय के संस्थापक एवं अजीवन अघ्यक्ष और वरिष्ठ स्वतन्त्रता सेनानी रहे। उन्होंने अपने जीवन में अपने सिद्धांतों,शर्तो और मूल्यों की राजनीति की,वे किसी भी केन्द्रीय मंत्री अथवा मुख्य मंत्री या किसी बड़े नेता के सामने कभी नहीं झुके,चाहे उन्हे किसी का भी कोप भाजन ही क्यों नहीं बनना पड़ा हो।
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