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जयपुर । यह खबर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए चिंताजनक हो सकती है कि वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री बजट घोषणा को ही ठेंगा दिखा दिया है। प्रदेश के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने धौलपुर और करौली में प्रस्तावित सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए परियोजना लागत के रूप में 100-100 करोड़ रुपये मांगे, तो सिर्फ एक-एक करोड़ रुपये देकर वित्त विभाग ने अपना पल्ला झाड़ लिया। वहींं अब उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रशासनिक अनुमोदन करके धौलपुर और करौली में इंजीनियरिंग कॉलेजों को खोलने में अपनी असमर्थता जाहिर करके मुख्यमंत्री के पास फाइल भेज दी है।
वहीं इस शिक्षण सत्र 2018-2019 में रीप के जरिये धौलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए सिर्फ 7 छात्रों ने प्रवेश लिया है, जबकि करौली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में 4 छात्रों ने प्रवेश लिया है। जबकि एआईसीटीई की मान्यता के अनुसार इन दोनों सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों को 300-300 सीटें आवंटित है। अभी यह दोनों इंजीनियरिंग कॉलेज भरतपुर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में चल रहे है।
उच्च शिक्षा विभाग ने अपनी फाइल में इन नाममात्र के छात्रों के स्थानांतरण को भी प्रस्तावित बताया है। वहीं अगर पिछले शिक्षण सत्र यानी 2017-2018 की बात करें तो धौलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में 5 और करौली के इंजीनियरिंग कॉलेज में 7 ही छात्रों ने प्रवेश लिया था। इनके प्रवेश से धौलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज को 2 लाख 3 हजार रुपये और करौली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज को 2 लाख 45 हजार रुपये मिले थे।
उच्च शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री की बजट घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए परियोजना लागत के रूप में सार्वजनिक निर्माण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक धौलपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज का भवन बनाने के लिए 100 करोड़ 99 लाख रुपये की धनराशि का प्रस्ताव भेजा था।
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