हमीरपुर। यहां स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में रजिस्टर के इस्तीफे का 'ड्रामा' खत्म हो गया है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) ने एनआईटी की रजिस्ट्रार डॉ. अर्चना ननोती के इस्तीफे पर यू-टर्न ले लिया है। इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया है। आम सहमति से इसका फैसला लिया गया है। यह भी कहा गया है कि उनका बेहतर योगदान और संस्थान की प्रगति में जो भूमिका रही है, उसे आगे भी जारी रखा जाएगा।
डॉ. ननोती के नेतृत्व में एनआईटी ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। जुलाई-अगस्त 2023 में 129 फैकल्टी सदस्यों और 55 गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की सफल भर्ती की गई। लेकिन यह ड्रामा कई सवाल छोड़ गया है। तीन दिनों के भीतर ही ऐसा क्या हो गया कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने इस्तीफे को नामंजूर कर दिया।
सवाल इसलिए भी है, क्योंकि रजिस्ट्रारों की स्थिति पर पहले भी खूब चर्चाएं हुई थीं। इससे पहले भी इस्तीफे दिए गए थे। तब ऐसा कुछ नहीं हुआ। वैसे भी मौजूद रजिस्टर की ऐसी कौन सी समस्या थी, जो तीन दिन में ही हल हो गई। इन सवालों का जवाब तो फिलहाल मिलने वाला नहीं है। लेकिन चर्चा में जरूर है।
संस्थान के डायरेक्टर जो बीओजी के अध्यक्ष भी हैं। उनका कहना है कि इसके साथ ही आर्किटेक्चर विभाग के लिए सीओए स्वीकृति, जो 2018 से लंबित थी, प्राप्त की गई। संस्थान की एनआईआरएफ रैंकिंग में सुधार हुआ, जो 128 से बढ़कर 101-110 श्रेणी में आ गई और छात्रों का प्लेसमेंट 80 फीसदी से ज्यादा हुआ।
डॉ. ननोती की प्रशासनिक दक्षता के कारण सीएजी ऑडिट टिप्पणियों को हटाया गया है। आयकर संबंधित मुद्दों को सुलझाया गया और अदालत एवं मध्यस्थता के मामलों का कुशल प्रबंधन किया गया। जीईएम के माध्यम से खरीद प्रक्रियाओं को सुधारा गया और ओएच 35 और ओएच 36 के तहत निधियों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित किया गया। उन्होंने एनआईटी उत्तराखंड में फैकल्टी प्रमोशन समिति के सदस्य और एनआईटी जालंधर में प्रमोशन इंटरव्यू के लिए एमओई नामित प्रतिनिधि के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
दरअसल में रजिस्टर का इस्तीफा संस्थान की भीतरी व्यवस्था में इसलिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि इस्तीफा दिया क्यों? और अब बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने उसे अस्वीकार क्यों कर दिया। इस घटनाक्रम को लेकर संस्थान की अंदरुनी चर्चाएं भी तेज हैं।
आखिर इस्तीफा देने की नौबत क्यों आई खाने को पारिवारिक स्थिति बताया गया है।
जानकारों की माने तो कारण कोई और है। यह सारी स्थिति अब इस घटनाक्रम को लेकर अजीबोगरीब मरहले में दाखिल हो गई है। लेकिन अभी इसका जवाब मिलना मुश्किल है। डायरेक्टर डॉक्टर हीरालाल सूर्यवंशी का कहना है कि इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया है। उनका बेहतर योगदान इस संस्थान के लिए रहा है। इसलिए उनकी सेवाएं अभी जारी रहेगी। - खासखबर नेटवर्क
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