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पेरिस ओलंपिक-2024 : वो शम्मा क्या बुझे जिसे रोशन ख़ुदा करे

Paris Olympics-2024 : How can the candle that God has lit go off? - Delhi News in Hindi

पेरिस ओलम्पिक खेलों में जिसे स्वर्ण पदक की सबसे बड़ी उम्मीद के रूप में देखा जा रहा था वह महिला पहलवान विनेश फोगाट 100 ग्राम के मामूली वज़न (overweight) को लेकर सेमीफ़ाइनल जीतने के बावजूद न केवल फ़ाइनल खेलने के लिए अयोग्य घोषित कर दी गयी बल्कि उसे सेमीफ़ाइनल जीत के पदक से भी महरूम रखा गया। हरियाणा के चरखी दादरी ज़िले की विनेश फोगाट को एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला भारतीय पहलवान का गौरव हासिल है। वे वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत कर विनेस टोक्यो ओलंपिक जीतने वाली भी पहली भारतीय महिला पहलवान हैं। परन्तु इस जुझारू महिला पहलवान के साथ पेरिस में जो हुआ उसे देखकर पूरा देश स्तब्ध व दुखी है। विनेश फोगाट पेरिस में महिला कुश्ती के फ़ाइनल में पहुंच चुकी थीं। देश उनसे गोल्ड मेडल की उम्मीद लगाए बैठा था। परन्तु पेरिस ओलपिंक में फ़ाइनल खेलने से पहले ही मात्र 100 ग्राम भार अधिक होने की कारण उन्हें फ़ाइनल खेलने के अयोग्य घोषित कर दिया गया। साथ ही उनको सिल्वर मेडल से भी वंचित रखा गया। बहरहाल विनेश उन छः जुझारू महिला पहलवानों में एक प्रमुख थी जिसने भारतीय कुश्ती महासंघ यानी डब्ल्यूएफ़आई के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। पिछले दिनों दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने तो बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोप तय भी कर दिए। यही वह विनेश फ़ोगाट थी जिसे बृजभूषण शरण सिंह के यौन उत्पीड़न की शिकार उसकी साथी महिला पहलवानों के साथ दिल्ली में धरने से बलपूर्वक जबरन उठाया गया था और पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया गया था।
यही विनेश फोगाट थी जो अपनी सरकार के पक्षपात व व्यवस्था से दुखी होकर अपने साथी पहलवानों के साथ अपने विश्वस्तरीय मैडल गंगा में प्रवाहित करने हरिद्वार पहुँच गयी थी जिसे अंतिम समय में कई किसान नेताओं ने समझा बुझाकर रोका। देश यह भी कभी नहीं भूलेगा कि जब देश का गौरव बढ़ाने वाली यह बेटियां दिल्ली की सड़कों पर अपने लिए न्याय की गुहार लगा रही थीं उस समय किस तरह एक बाहुबली सांसद के प्रभाव में आकर सत्ता व सत्ता का चाटुकार मीडिया कैसे कैसे अफ़साने गढ़ रहा था। जिस बृज भूषण के विरुद्ध अदालत यौन शोषण के आरोप तय कर चुकी है, सार्वजनिक सभाओं में वही बाहुबली देश की इन बेटियों की तुलना कैकेई और मंथरा से करता फिर रहा था और उसी दौरान शक्ति प्रदर्शन कर अपनी बेगुनाही का सबूत देना चाह रहा था।
देश वह दिन कैसे भूल सकता है जब 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री देश की नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे उसी दिन यौन शोषण का शिकार इन्हीं पदक विजेता लड़कियों को पुलिस सड़कों पर घसीट रही थी ताकि वे रोष व्यक्त करने संसद भवन तक न जाने पायें ? सत्ता के चाटुकार इन्हें धरना जीवी बता रहे थे ? स्वयं दुश्चरित्र लोगों द्वारा ही इन होनहार पदक विजेताओं के चरित्र पर सवाल उठाये जा रहे थे ? उन्हें धमकियां तक दी जा रही थीं ? सत्ता के चाटुकार, भ्रष्ट व ख़ुशामद परस्त पत्रकारों ने भी उसी समय सत्ताधारी बाहुबली सांसद का साथ देते हुए इन आदर्श नारियों का जमकर अपमान किया व उन्हें अप ने मीडिया तंत्र के माध्यम से बदनाम करने में कोई कसर उठा नहीं रखी। कोई इन लड़कियों को फुंके हुए कारतूस बता रहा था तो कोई गोदी एंकर यह कह रहा था कि अब तो इनकी कुश्ती ख़त्म हो जाएगी। एक चरण चुम्बक एंकर तो पूरा हिसाब किताब लगाकर बता रहा था कि 'विनेश फोगाट पर 2 करोड़ 16 लाख रुपए खर्च हुए। साथ ही यह ज्ञान भी दे रहा था कि टैक्स से आता है पैसा, यह पब्लिक का पैसा है। मशहूर तिहाड़ी एंकर तो यहाँ तक कहते सुना गया कि खिलाड़ी इनाम में प्राप्त धनराशि को वापस लौटा कर अपना विरोध जता सकते हैं। ऐसी और इससे भी अपमानजनक बातें देश की आन बान और शान समझी जाने वाली इन महिला पहलवानों के लिये दलाल, रिश्वतख़ोर, भ्रष्ट व बेज़मीर स्वयंभू पत्रकारों द्वारा की गयी थीं।
आख़िरकार सत्ता से टकराने व इतना ज़बरदस्त तनाव झेलने के बावजूद विनेश फोगाट ने ओलंपिक चैंपियन को व दो अन्य विश्वस्तरीय पहलवानों को रेसलिंग में शिकस्त देकर पूरे विश्व को अपना लोहा मनवा ही दिया। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विनेश के लिए सोशल मीडिया एक्स पर एक भावुक संदेश लिखा। उन्होंने लिखा कि - विनेश, आप चैंपियनों में चैंपियन हैं! आप भारत का गौरव हैं और हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं। आज की असफलता दुख देती है। काश मैं शब्दों में उस निराशा को व्यक्त कर पाता जो मैं अनुभव कर रहा हूं। साथ ही, मैं जानता हूं कि आप दृढ़ता की प्रतिमूर्ति हैं। चुनौतियों का सामना करना हमेशा से आपका स्वभाव रहा है। और मज़बूत होकर वापस आओ! हम सब आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
आज पूरा देश विनेश फोगाट के साथ पेरिस ओलंपिक में हुए घटनाक्रम को लेकर ग़मज़दा है। निःसंदेह विनेश ने पेरिस ओलंपिक में अपनी सफ़लता का परचम लहराकर उन लोगों के मुंह पर एक करारा तमंचा जड़ दिया है जो उनके संघर्ष का मज़ाक़ उड़ाते हुये दुश्चरित्र सत्ताधीशों के साथ खड़े थे और उल्टे उन्हें धरना जीवी बताकर उन्हीं को बदनाम करने की साज़िश रच रहे थे। उन भांड गोदी पत्रकारों को भी जवाब मिल गया जो खिलाड़ियों से पैसों का हिसाब मांग रहे थे व उस पर ख़र्च हुए पैसों को जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी बता रहे थे।
यह भी पता चल गया होगा कि फुंका कारतूस कौन है और ज़िंदा कौन। मैं भी व्यक्तिगत रूप से विनेश के कुश्ती से सन्यास लेने के फ़ैसले से काफ़ी आहत हूँ और उनसे गुज़ारिश करता हूँ कि देश को स्वर्ण दिलाने के बाद ही उनका सन्यास लेना बेहतर होगा। वे अपने इस निर्णय पर ज़रूर पुनर्विचार करें। बहरहाल देश की गौरव और हरियाणा की शान विनेश फोगाट ने एक ही दिन में विश्व के तीन चैम्पियन पहलवानों को धूल चटाने के बाद यह प्रमाणित कर दिया है कि -फ़ानूस बन के जिसकी हिफ़ाज़त हवा करे। वह शम्मा क्या बुझे जिसे रौशन ख़ुदा करे।

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Web Title-Paris Olympics-2024 : How can the candle that God has lit go off?
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