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रक्षाबंधन : रेशमी डोर से बंधा बहनों का भाइयों पर अटूट विश्वास का पवित्र त्यौहार

Rakshabandhan: A sacred festival of unwavering faith of sisters on their brothers tied with a silken thread - Raipur News in Hindi

क्षाबंधन केवल बहनों द्वारा रेशमी धागों को भाइयों की कलाई में बांधने का त्यौहार ही नहीं है बल्कि देश के हर नौजवान से देश की सुरक्षा एवं राष्ट्र में निवासरत हर बहन के लिए रक्षा का वचन का त्यौहार भी है। बहन और भाइयों का यह पवित्र त्यौहार सावन की पूर्णिमा पर श्रद्धा सादगी और पवित्रता के साथ मनाया जाता है। जिस बहन ने भाई की कलाई में यह रक्षा सूत्र बांधा है भाई का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह आजीवन अपनी बहनों की हर तरह से सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहे। प्राचीन काल में यज्ञ तथा अनेक धार्मिक अनुष्ठानों को करते समय इस में सम्मिलित होने वाले लोगों की कलाइयों पर मंत्रों से सुभाषित सूत्र बांधा जाता था। यह परंपरा आज भी यथावत जारी रखी गई है सूत्र को यज्ञ शक्ति का प्रतीक समझकर यज्ञ स्थल पर सूत्र धारण करने वाले व्यक्ति की हर आपदा एवं उपद्रवों से रक्षा हेतु यह सूत्र कटिबद्ध माना गया है। कालांतर में इसी रक्षा सूत्र का नाम रक्षाबंधन पड़ गया है।
रक्षाबंधन के साथ यह विश्वास तथा धारणा बलवती हो जाती है कि जिस भाई को बहना ने रेशमी धागे से रक्षा सूत्र के द्वारा रक्षाबंधन किया गया है उस भाई की नैतिक तथा सामाजिक तौर पर धार्मिक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी बहनों की हर तरह से सुरक्षा करें इसके अलावा देश की सीमा की भी रक्षा करें इसमें उसकी बहन निवासरत है। इस तरह देश और बहनों की रक्षा का यह पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन के रूप में संपूर्ण राष्ट्र में एवं विदेशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा हर वर्ष मनाया जाता है।
पौराणिक और धार्मिक स्वरूप भी है इसकी पुराण में एक कथा है भगवान विष्णु वामन का रूप लेकर दानवों के राजा बलि का सर्वस्व छीन लेते हैं। इसके पश्चात भी विष्णु भगवान राजा बलि को धर्मपरायण न होते देख प्रसन्न होकर उसे पाताल लोक प्रदान करते हैं एवं उस पाताल लोक में स्वयं द्वारपाल बन जाते हैं। इन परिस्थितियों में विष्णु भगवान की पत्नी माता लक्ष्मी उन्हें ना पाकर अत्यंत चिंतित हैं विचलित हो जाती है।
भगवान नारद जी लक्ष्मी जी की चिंता का निवारण करते हुए बताते हैं कि विष्णु जी पाताल लोक में द्वारपाल बने हुए हैं, ऐसे में लक्ष्मी जी पाताल लोक के स्वामी बली को रक्षा सूत्र बांधकर वचन के रूप में अपने पति देव विष्णु जी को मांगती है राजा बलि रक्षाबंधन के पवित्र धागों से बंध कर भगवान विष्णु को द्वारपाल के पद से मुक्त कर देते हैं और इन परिस्थितियों में रक्षाबंधन का महत्व पूर्ण कथाओं में श्रेष्ठ बंधन के रूप में माना जाने लगा है।
वैसे तो इस पवित्र धागे की रक्षा के अनेक ऐतिहासिक प्रमाण भी दिए गए हैं तब से रक्षाबंधन का यह पवित्र भाव और बहन द्वारा राखी बांधने की परंपरा जोर शोर से प्रचलित हुई है। राजनीति में भी स्वतंत्रता के पूर्व तथा स्वतंत्रता के बाद रक्षाबंधन के बदले बहनों ने भाइयों से सामाजिक सुरक्षा एवं देश की रक्षा के वचनों को मांगा है एवं भारत की स्वतंत्रता प्राप्त की है।
रक्षाबंधन में बहने रक्षा सूत्र बांधकर भाइयों मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं देती है और प्रत्युत्तर में भाई उनकी मांगी हुई मुराद पूरी करते है। आज हर त्यौहार का व्यवसायीकरण हो गया है। बहनें अपने धनिक भाइयों से कीमती वस्तुएं मांग लेती और भाई अपनी क्षमता के अनुसार उनकी मांग पूरी भी कर देते हैं। रक्षाबंधन पवित्रता का त्यौहार है, यह मानवीय भाव का बंधन है। यह प्रेम त्याग और कर्तव्य का बंधन भी है इस बंधन में एक बार बंध जाने के बाद इसे विस्मित किया जाना अत्यंत कठिन होता है।
इंन रेशमी धागों में इतनी शक्ति होती है कि भाई बहनों और देश की रक्षा के लिए अपनी जान पर भी खेल जाते हैं। रक्षाबंधन के पर्व हमें संदेश देता है की स्त्री समाज की मुख्य अंग है और स्त्री जिस धरा, जिस भूमि पर, जिस देश में निवास करती है उस देश की भूमि की रक्षा तथा बहनों के प्रेम और सम्मान की सुरक्षा करना भाइयों का प्रथम कर्तव्य हो जाता है अतः सभी भाई बहनों को रक्षाबंधन की किस पवित्र त्यौहार की अनंत बधाइयां एवं शुभकामनाएं।

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Web Title-Rakshabandhan: A sacred festival of unwavering faith of sisters on their brothers tied with a silken thread
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