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पहलगाम हमले के पीड़ितों की याद में चंडीगढ़ के युवाओं ने किया वृक्षारोपण, दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
khaskhabar.com: शनिवार, 24 मई 2025 2:12 PM
चंडीगढ़। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में जान गंवाने वाले 26 निर्दोष नागरिकों की स्मृति में चंडीगढ़ के युवाओं ने एक प्रेरणादायक और भावनात्मक पहल की। शुक्रवार को सेक्टर 25 स्थित श्मशान घाट परिसर में इन शहीदों की याद में 26 वृक्ष लगाए गए। इस वृक्षारोपण कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक शांतिपूर्ण संदेश देना था, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक सकारात्मक प्रयास रहा।
कार्यक्रम की अगुवाई चंडीगढ़ के युवाओं के एक समूह ने की, जिसमें कॉलेज छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। आयोजन की शुरुआत शहीदों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट के मौन से हुई, जिसके बाद प्रत्येक वृक्ष को एक-एक निर्दोष जान की याद में समर्पित किया गया।
"यादें रहेंगी ज़िंदा, पेड़ों के रूप में..."इस पहल के पीछे भाव यह था कि वे मासूम चेहरे जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनकी स्मृतियां इन वृक्षों के माध्यम से जीवित रहेंगी। युवाओं ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष समय के साथ बढ़ते हैं और जीवन देते हैं, उसी तरह शहीदों की याद भी हमारे दिलों में बनी रहनी चाहिए और समाज को प्रेरित करती रहनी चाहिए।
पर्यावरण और संवेदना का अद्भुत संगमवृक्षारोपण के दौरान युवाओं ने नारे भी लगाए – "पेड़ लगाओ, आतंक मिटाओ", "हर पौधा एक श्रद्धांजलि", और "शांति की जड़ें, प्रकृति की छांव"। इस मौके पर पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों ने भी युवाओं की इस पहल को सराहा और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक आदर्श बताया।
समाज के लिए संदेशइस आयोजन के माध्यम से आयोजकों ने यह संदेश देने की कोशिश की कि देश पर होने वाले हर हमले का जवाब सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि मानवीयता और सामूहिक चेतना से भी दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि हैं, बल्कि समाज को एकजुट करने और आतंक के खिलाफ जागरूकता फैलाने का जरिया भी हैं।
शहर के लिए एक नई प्रेरणाचंडीगढ़ के इस श्मशान घाट परिसर में लगाए गए ये 26 वृक्ष आने वाले वर्षों में न केवल हरियाली बढ़ाएंगे, बल्कि वे उस करुण क्षण की याद भी दिलाते रहेंगे जब निर्दोष लोग आतंकवाद का शिकार बने थे। युवाओं की इस पहल ने शहरवासियों को भी गहराई से छुआ और अब कई अन्य संगठनों ने भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की इच्छा जताई है।
यह पहल न केवल शोक की अभिव्यक्ति थी, बल्कि यह संदेश भी कि जब तक समाज जागरूक है, तब तक आतंक के काले साए को रोशनी की एक किरण से पराजित किया जा सकता है।ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे