मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत-विधि- ये भी पढ़ें - इस दिशा में हो मंदिर, तो घर में होती है कलह
इस
दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। इसके
बाद श्री हरि को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें। अब पूजा स्थल पर एक
वेदी बनाकर हवन में अग्नि जलाएं।
व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और उन्हें दान जरूर देवें दें।
तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें।
ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालग्राम का अभिषेक करें।
इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटें।
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