कोलकाता। काल्पनिक चरित्रों के 50 साल की यात्रा के बारे में बताने वाले सत्यजीत रे के जासूस पात्र फेलूदा पर बनी डॉक्यूमेंट्री को शुक्रवार को थियेटर में रिलीज किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
काल्पनिक जांचकर्ता पर आधारित प्रोदोस चंद्र मित्तर की पहली कहानी, जिसे फेलूदा कहा जाता है - फेलूदेर गोएन्दागिरी के नाम से 1965 में बच्चों की पत्रिका संदेश में छपी थी।
रे के किरदारों ने उपन्यासों और लघु कथाओं के जरिए पाठकों को चकित करने के साथ ही फिल्मकारों को भी काफी प्रभावित किया।
फेलूदा की लोकप्रियता और उसके प्रति लोगों के क्रेज ने निर्माताओं को ‘फेलुदा: 50 इयर्स ऑफ रे डिटेक्टिव’ बनाने के लिए प्रेरित किया।
डॉक्यूमेंट्री के निर्देशक सागनिक चटर्जी ने आईएएनएस को बताया, ‘‘फ्रांसीसी, इतालवी, जापानी और स्वीडीश ट्रांसलेशन के बारे में मुझे नहीं पता। मैंने संदीप रे को इसे असिस्ट करते हुए 2007 में देखा था, जिसके बाद इसमें मेरी दिलचस्पी बढ़ गई।’’
चटर्जी ने आगे कहा, ‘‘पूरी फिल्म एक यात्रा की तरह है। यह एक यात्रा वृतांत ही है, जो बीते 50 वर्षों से सफर कर रहा है।’’
ज्ञात हो कि इस दो घंटे की डॉक्यूमेंट्री को बनाने में कई आर्थिक समस्याएं आई थीं।
उन्होंने खुलासा करते हुए कहा, ‘‘किसी कारणवश प्रोड्यूसर ने इस परियोजना को छोड़ दिया था और इसको पूरा करने के लिए मुझे करीब 15 लाख रुपयों की जरूरत थी। अंतत: मैनें जन-सहयोग के जरिए पैसे एकत्र किए।’’
हालांकि चटर्जी ने डॉक्यूमेंट्री के स्थानों को लेकर कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने इसकी शूटिंग लंदन, जैसलमेर, वाराणसी, मुंबई, पूणे, शांतिनिकेतन और कोलकाता में किया।
डॉक्यूमेंट्री के लिए लंदन काफी महत्पूर्ण था, क्योंकि फेलूदा को शेरलॉक होम्स से ही प्रेरणा मिली थी।
डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कोलकाता के फिल्म कांप्लेक्स नंदन और प्रिया थियेटर में 7 जून को किया गया।
(आईएएनएस)
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