कानपुर। अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी ने जिस समय साबरमती से जाकर दांडी पर नमक आंदोलन की शुरुआत की थी, उसी दिन कानपुर का श्रद्धानंद पार्क भी दांडी से कम नहीं था। यहां पर आजादी के नायकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और नमक बनाकर आंदोलन को धार दी थी।
प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन का महत्वपूर्ण गढ़ रहा कानपुर आंदोलन के कुचलने के बाद शांत तो हो गया, पर पूरी तरह से स्थिर नहीं हुआ। जिसके चलते चन्द्रशेखर व महात्मा गांधी युग में देश की आजादी के लिए फिर से सक्रिय हो गया। इसी के चलते जब अंग्रेजी सरकार ने नमक पर कर लगाया तो महात्मा गांधी ने गुजरात के साबरमती आश्रम से पैदल मार्च कर समुद्र के किनारे दांडी पर एक मुठ्ठी नमक बनाकर नमक आंदोलन की नींव डाल दी। ऐसे में कानपुर कहां पीछे रहने वाला था। यहां के लोगों ने इसके लिए कोतवाली थाना क्षेत्र के तिलक हॉल के पीछे श्रद्धानन्द पार्क को चुना और वहां पर आजादी के नायकों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और पार्क में नमक बनाकर आंदोलन को आगे बढ़ाया गया। उस दौरान इस पार्क को दांडी के नाम से जाना जाने लगा।
इतिहासकार मनोज अग्रवाल के मुताबिक महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के दौरान पार्क में नमक बनाने का जो सिलसिला शुरु हुआ वह एक साल तक चलता रहा, सैकड़ों आजादी के नायक जेल भेजे गए। बताया कि सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी नारायण प्रसाद अरोड़ा, प्यारेलाल अग्रवाल और जीजी जोग ने नमक बनाया। अंग्रेज सरकार को जब यह बात पता चली तो वह मौके पर जाकर तीनों को गिरफ्तार कर ले गई।
तीनों स्वतंत्रता सेनानियों के अरेस्ट होने की यह बात जैसे ही लोगों को पता चली तो पार्क में हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा और फिर नमक बनाने का सिलसिला सालों तक चलता रहा। आजादी के बाद इस पार्क की तीन चौथाई जमीन पर तिलक सोसायटी और बचे हिस्से पर आर्य समाज का स्वामित्व हो गया। हालांकि वर्तमान में पार्क का रखरखाव नगर निगम कर रहा है और यहां पर संघ की शाखा लगती है।
मैं बीजेपी-आरएसएस से नहीं डरता : राहुल गांधी
इस घर में 19 मार्च को रूका था अमृतपाल, पनाह देने वाली महिला गिरफ्तार
सोनीपत में कुट्टू का आटा खाने से 250 लोगों की तबीयत बिगड़ी, अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती
Daily Horoscope