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प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल विकास के लिए हो, विनाश के लिए नहीं: मोदी

Prime Minister Narendra modi says technology is for development not for destruction - World News in Hindi

दुबई। दुनिया को प्रबल संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां रविवार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मानव के लिए विनाशकारी औजार के तौर पर प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी। मोदी ने दुनिया को चरमपंथ के लिए साइबर स्पेस के दुरुपयोग के प्रति भी आगाह किया।

प्रधानमंत्री संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार द्वारा आयोजित विश्व शासन शिखर सम्मेलन के छठे संस्करण को बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा के मसले पर दुनिया को एकजुट होने का आह्वान किया, जिसके माध्यम से गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा सकती है।

यूएई की अपनी दो दिनों की यात्रा के आखिर में मोदी ने अपने महत्वपूर्ण भाषण से दुबई के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लागार्द और 1,000 की क्षमता वाले सभागार में खचाखच भरे विश्व समुदाय के लोगों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने मानवता, प्रकृति के सह-अस्तित्व पर चर्चा की।

मोदी ने कहा कि दुनिया से अभी गरीबी और कुपोषण समाप्त नहीं हुआ है, फिर भी संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा मिसाइल व हथियार तैयार करने वाली प्रौद्योगिकियों में इस्तेमाल हो रहा है।

उन्होंने कहा, "सारी तरक्की के बावजूद गरीबी और कुपोषण दुनिया से समाप्त नहीं हो पाया है। दूसरी ओर, मिसाइल की शक्ति में इजाफा करने और विनाशकारी क्षमता वाले बम बनाने पर बड़े पैमाने पर धन खर्च किया जा रहा है। हमें सचेत हो जाना चाहिए कि हमने प्रगति के उपकरण के लिए प्रौद्योगिकी तैयार की, न कि विनाश के लिए।"

मोदी ने कहा कि सरकारों को प्रौद्योगिकी में आए बदलाव की चुनौतियों के प्रति सचेत हो जाना चाहिए, ताकि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल रचनात्मक कार्यो में किया जाए।

उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी एक उपहार है, जिसके इस्तेमाल करने की विधि में किसी नैतिक मूल्य का उल्लेख नहीं होता। साइबरस्पेस का दुरुपयोग चरमपंथ के लिए किया जाना प्रौद्योगिकी के साथ छेड़छाड़ करने का उदाहरण है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का औजार बनाने की भूल की कीमत बहुत भारी है। उन्होंने कहा, "मानवता के भविष्य के लिए हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ तो करते हैं, लेकिन सह-अस्तित्व कायम नहीं करते हैं।"

मोदी ने छह 'आर' में छह महत्वपूर्ण कदम सुझाए : आर-रीड्यूस (कम करना), रीयूज (दोबारा उपयोग), रीसाइकिल (पुनर्चक्रण), रिकवर (सुधार लाना), रीडिजाइन (दोबारा डिजाइन करना) और री-मैन्यफैक्च र (पुनर्विनिर्माण)। उन्होंने कहा कि इन उपायों से जिस गंतव्य पर पहुंचेंगे, वहां हर्ष व आनंद है। मोदी के इन सुझावों का श्रोताओं ने जोरदार स्वागत किया।

उन्होंने विश्व समुदाय को बताया कि दुनिया में लोग आपस में एक-दूसरे से इंटरकनेक्टेड और इंटरलिंक्ड होते हैं। साथ ही, एक-दूसरे पर आश्रित भी होते हैं। उन्होंने कहा, "हमारी समस्याएं अलग-अलग नहीं हैं, इसलिए बहुत हद तक इनका समाधान भी वैसा ही है।"

उन्होंने कहा, "यह तय है कि आगामी दशकों में दुनिया के सामने जो समस्याएं होंगी, उनका समाधान भी संयुक्त रूप से खोजा जाएगा और प्रौद्योगिकी की उसमें बड़ी भूमिका होगी।"

21वीं सदी को एशिया की सदी के रूप में बताते हुए मोदी ने कहा कि प्रस्तर युग से लेकर औद्योगिक क्रांति की प्रगति में हजारों साल लग गए, लेकिन संचार क्रांति महज 200 साल में आया, जबकि डिजिटल क्रांति कुछ ही वर्षो में देखने को मिली है।

उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी चिंतन की रफ्तार से बदल रही है और आवश्यकता अब आविष्कार की जननी नहीं रह गई है। आविष्कार से अब आवश्यकताएं पैदा हो रही हैं।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी व्यापक बदलाव का औजार बन गई है और इससे आम लोगों का सशक्तीकरण हुआ है।

उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी और इसके विस्तार से आम लोग सशक्त हुए हैं और इस सशक्तीकरण को न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन से मजबूती मिली है।" ई-गवर्नेस की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि ई-गवर्नेस में ई से अभिप्राय सरकार को प्रभावकारी, समतुल्य, सक्षम और सशक्त बनाना है।

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम के जरिए भारत में नवाचार का माहौल बनाया है।

उन्होंने कहा कि भारत का यूनिक आइडेंटिटी प्रोग्राम (आधार) दुनिया में सबसे बड़ा कार्यक्रम है और इससे आठ अरब की लीक रुक गई है।

मोदी ने कहा कि कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कहा है कि शासकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रौद्योगिकी विकास लोगों के हित में हो।




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Web Title-Prime Minister Narendra modi says technology is for development not for destruction
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