असगर नकी. अमेठी. यूपी असेम्बली इलेक्शन में कांग्रेसियों ने प्रतिष्ठा को आडे़हाथों लेकर चार सीटों में दो सीटों पर अलांयस के तहत तो दो सीटों पर फ्रैन्डली मैच खेला, लेकिन जिस बात का डर था, आखिर नतीजा आने के बाद वो बात चरित्रार्थ हो ही गई। समूचे प्रदेश छोड़ खुद अमेठी में कांग्रेसियों की प्रतिष्ठा के चलते कांग्रेस पार्टी औंधे मुंह गिर गई। [ अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
खासकर अमेठी और गौरीगंज सीट जिस पर काँग्रेस ने अलांयस के बावजूद फ्रैन्डली मैच खेला लेकिन अमेठी में राजघराने की पहली रानी ने दूसरी रानी को 42 हज़ार वोटों से रौंदते हुए उन्हें चौथे पायदान पर पहुँचा दिया जबकि गौरीगंज सीट पर 2012 में 500 वोटों से हारने वाले काँग्रेस कन्डिडेट सपा के उसी कन्डिडेट से 26 हज़ार वोटों से हारे।
बीजेपी द्वारा अमेठी विधानसभा सीट से रानी गरिमा सिंह को उम्मीदवार बनाया गया था। जिनके मैदान में उतरने के बाद बीजेपी नेता आशीष शुक्ला जैसे नेताओं ने विरोध किया। लेकिन इसके बाद भी पार्टी दबाव में नहीं आई। उधर सपा ने रेप के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति को उम्मीदवार बना रखा था। नतीजतन आखरी समय में दो वर्षों से अमेठी की खाक छान रही काँग्रेस प्रत्याशी अमीता सिंह ने प्रतिष्ठा को दांव पर लगाते हुए पार्टी से टिकट ले लिया। इसके बाद से हर किसी की जुबान पर यही था कि अमेठी का चुनाव रानी बनाम रानी का होगा और अमेठी की जनता फैसला करेगी कि राजमहल के 85 कमरो में से 4 कमरों में रहने वाली असली रानी है या बचे हुए बहुतेरे कमरो में रहने वाली। आज जब नतीजा आया तो अमेठी की जनता ने गरिमा सिंह को 62 हज़ार 772 वोट देकर न सिर्फ अपना विधायक चुना बल्कि राजमहल के 4 कमरों में रहने वाली इस रानी को अमेठी की असली रानी होने का दर्जा भी दे डाला। जबकि यहां की जनता ने राजमहल के बहुतेरे कमरो में रहने वाली रानी को मात्र 20 हज़ार 33 वोट ही दिया। यही नहीं अमेठी की जनता ने अजीबो -गरीब फैसला किया जहां उसने दूसरी रानी को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया वहीं रेप के आरोपी मंत्री को सम्मानजनक स्थित में लाते हुए 57967 वोट दे डाले। खैर गरिमा सिंह के रूप में अपना विधायक चुनने के बाद अमेठी की जनता खुशी से झूम उठी।
गौरीगंज में फ्रैन्डली फाइट में जीती सपा
इसी क्रम में गौरीगंज सीट पर बीजेपी के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को करारी शिकस्त हाथ लगी। सूत्रों के अनुसार यहाँ ईरानी की संस्तुति पर बीजेपी जिलाध्यक्ष उमाशंकर पाण्डेय को उम्मीदवार बनाया गया था जिनका भारी विरोध हुआ था। इसका असर नतीजा आने के बाद साफ नज़र आया। इन्हें केवल 23 हज़ार 642 वोट ही मिले और चौथे स्थान पर रहे। जबकि सपा विधायक राकेश सिंह मऊ 77 हज़ार 915 वोट पाकर उन्होंने दूसरी बार जीत हासिल किया। इस बार भी उन्होंने काँग्रेस प्रत्याशी नईम को ही शिकस्त दिया। लेकिन शिकस्त भी पिछली बार की तरह मामूली 503 नहीं बल्कि 26 हज़ार 419 वोटों से।
कांग्रेसी दुर्ग जगदीशपुर भी नहीं बचा काँग्रेस के पास
यही कुछ हाल जगदीशपुर सीट का भी रहा। ये सीट अमेठी की सभी विधानसभा सीटों में काँग्रेस का अभेद दुर्ग मानी जाती रही। तक़रीबन 8 बार इस पर काँग्रेस से स्व. रामसेवक धोबी विधायक रहे। उम्र के आखरी समय में 2012 में उन्होंने नाती राधेश्याम को अपनी विरासत सौंपी लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी के सुरेश पासी ने धूल चटा दिया। पासी को 84219 वोट मिले।
तिलोई में बीजेपी ने दर्ज की अमेठी की रिकार्ड जीत
अमेठी की तिलोई विधानसभा सीट जो की 2012 में काँग्रेस के पाले में थी। डा. मुस्लिम ने काँग्रेस के सिम्बल पर जीत दर्ज किया था लेकिन इस चुनाव में टिकट की जुगत न लगते देख उन्होंने बीएसपी का दामन थामा। अंत में अपने पुत्र मोहम्मद सऊद को टिकट दिलाने में वो कामयाब हुए। लेकिन 2012 में जिस मयंकेश्वर शरण सिंह को उन्होंने पराजित किया था आज उन्हीं मयंकेश्वर शरण ने सपा की सवारी छोड़ बीजेपी की सवारी करते हुए पूरे अमेठी में 96 हज़ार 119 रिकार्ड वोट पाकर जीत दर्ज कराई जबकि डा. मुस्लिम के पुत्र सऊद को 52 हज़ार 75 वोट से संतोष करना पड़ा।
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