जयपुर,। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है
कि तकनीकी शिक्षा देश में मेक इन इण्डिया अभियान को गति प्रदान करने का
प्रभावी माध्यम बने। उन्होंने कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालय ऐसे उपकरण,
यांत्रिक प्रौद्योगिकी विकसित करें, जिसकी सहायता से लोग स्वयं के उद्योग
लगा कर अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में योगदान कर सकें। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्यपाल मिश्र सोमवार को बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत
समारोह में राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुशल
जनशक्ति तैयार करने के साथ तकनीकी शिक्षा में इस बात पर भी विशेष ध्यान
देना चाहिए कि आम व्यक्ति के जीवन को कैसे सस्ती और सुलभ तकनीक मिल सकती
है।
राज्यपाल ने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में भारत
वैदिक काल से ही अत्यधिक समृद्ध रहा है। वैदिक ग्रंथों में प्रकाश की गति,
आकर्षण शक्ति, परमाणु आदि पर बहुत सारा ज्ञान निहित है। उन्होंने नई शिक्षा
नीति के अंतर्गत प्राचीन ज्ञान संदर्भों के साथ आधुनिक वैश्विक ज्ञान का
समन्वय करते हुए प्रौद्योगिकी विकास को गति प्रदान करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्रौद्योगिकी शिक्षा के व्यावहारिक
प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि अंग्रेजी के साथ हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी
वैज्ञानिक, तकनीकी तथा चिकित्सकीय शिक्षा के पाठ्यक्रमों को सर्वसुलभ
कराने की जो पहल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन के
माध्यम से की गई है, वह सराहनीय है। उन्होने कहा कि आईआईटी संस्थानों में
भी पाठ्यक्रमों को हिन्दी और दूसरी भाषाओं में अनुवाद का कार्य भी पिछले
कुछ समय में प्रारम्भ हुआ है, जिसके दूरगामी परिणाम आएंगे।
राज्यपाल
ने विद्यार्थियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये विश्वविद्यालय में
आईडिया लैब, आईनेस्ट इन्क्यूबेशन सेंटर आदि कार्यों की सराहना की। उन्होंने
इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विश्वविद्यालय में एक हजार 500 से अधिक
कम्पनियों द्वारा कैम्पस साक्षात्कार में 5 हजार से अधिक रोजगार प्रस्ताव
उपलब्ध करवाए गए।
राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड, नई दिल्ली के पूर्व
अध्यक्ष प्रो. कृष्ण किशोर अग्रवाल ने तकनीकी शिक्षा के संदर्भ में नई
शिक्षा नीति के विशेष पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी
अपने विषय के अतिरिक्त अन्य विषयों का भी आधारभूत ज्ञान प्राप्त कर सकें,
इसके लिए नई शिक्षा नीति में पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने अपने
संबोधन में बहुसंकाय अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया।
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