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जयपुर। राइट टू हैल्थ बिल पर डॉक्टरों औऱ सरकार के मतभेद अब सुलझते हुए नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश के बाद मुख्य सचिव ऊषा शर्मा के साथ शुक्रवार शाम हुई ज्वाइंट एक्शन कमेटी की मीटिंग में कई मुद्दों पर सहमति बन गई है।
मीटिंग के बाद ज्वाइंट एक्शन कमेटी के डा चेयरमैन डा सुनील चुग ने बताया कि बातचीत सकारात्मक रही है। विधेयक के मुख्य-मुख्य बिंदुओं पर सरकार से सहमति हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि डॉक्टरों को विश्वास में लिए बिना यह विधेयक विधानसभा में पास नहीं कराया जाएगा। मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने कमेटी को बताया कि राइट टू हैल्थ विधेयक में डॉक्टरों के हितों का समावेश किया गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राजस्थान मीडिया प्रभारी डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि बिल के अलावा राज्य में चिकित्सकों को आ रही परेशानी के कई बिंदुओं पर भी सैद्धांतिक सहमति बनी है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से प्रस्तावित राइट टू हैल्थ बिल का डॉक्टर प्रदेशभऱ में विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि इस विधेयक के बाद प्राइवेट अस्पतालों का संचालन और क्लिनिक के जरिए डॉक्टरों का प्रैक्टिस करना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि विधेयक में प्रावधान किया गया है कि इमरजेंसी में डॉक्टर किसी भी रोगी को इलाज के लिए मना नहीं कर सकते। भले ही उसके पास पैसे नहीं हों।
डॉक्टरों का कहना था कि सरकार ने पहले ही बीमा योजना में पैकेज कम कर रखे हैं। ऊपर से मुफ्त इलाज करने के लिए बाध्य करना गलत है। इन मांगों को लेकर डॉक्टरों ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा और आरजीएचएस जैसी योजनाओं का बहिष्कार भी किया था। लेकिन, बाद में इस बहिष्कार को 10 मार्च तक स्थगित कर दिया गया था।
मुख्य सचिव के साथ किन-किन बिंदुओं पर सहमित बनी। यहां देखें…
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