बीकानेर। मां मानव सभ्यता के लिए भगवान का वरदान हैं। मां वास्तव में भगवान का ही रूप है। सारे विश्व में मां की अनंत महिमा को स्वीकार किया गया है। मां हमारे देश में सदैव पूजनीय रही है। मां निरक्षर होते हुए भी ऐसा ज्ञान दे देती है, जो बड़े-बड़े विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान नहीं दे पाते। ये विचार बीकानेर के कादम्बिनी क्लब द्वारा मातृ दिवस के अवसर पर स्थानीय मरुधर हेरिटेज में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रख्यात साहित्यकार भवानी शंकर व्यास विनोद ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रकट किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ऊषा किरण सोनी ने कहा कि मां हमारे लिए प्रकृति का अनुपम उपहार है। दुनिया भर के महापुरुषों की जन्मदात्री मां ही है और उनको महापुरुष बनाने वाली मां ही है। बच्चा अपना पहला शब्द जो सीखता है, वह मां के समरूप ही होता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्यक्रम की शुरुआत में मातृ दिवस के स्वरूप और उपयोगिता को बताते हुए कादम्बिनी क्लब के संयोजक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि हमारी संस्कृति में हर दिन मां के स्मरण और पूजा का है। हम सारी सृष्टि की शक्ति के स्वरूपा मां का ही पूजन करते हैं। कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि आज के हालत में माता-पिता की दुर्गति हो रही है और उनको वृद्धाश्रम भेजा जाने लगा है। यह स्थिति पूरे समाज के लिए चिंता का विषय हैं। इस पर विचार किया जाना जरूरी है। इस अवसर पर इकरामुद्दीन कोहरी, सराजुद्दीन खोकर, कृष्णा वर्मा, डॉ. प्रकाश चन्द्र वर्मा, डॉ.जगदीश दान बारहठ, नरसिंह भाटी निशू, अजीत राज, वरिष्ठ साहित्यकर जब्बर बिकानवी, व्यवसायी हेम चंद बांठिया सहित कई साहित्यकारों, विचारकों और गणमान्य व्यक्तियों ने कविताओं और व्याख्यान द्वारा अपने उद्गार प्रकट किए। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अजय जोशी ने किया और डॉ. नरसिंह बिन्नानी ने आभार जताया।
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