रोहतक। आखिरकार 15 साल के लंबे इंतजार के बाद यौन शोषण की शिकार दो साध्वियों को इंसाफ मिल गया है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने अपनी दो शिष्याओं के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में 20 साल की सजा सुनाई है। गुरमीत राम रहीम को दुष्कर्म के दोनों अपराधों के लिए 10-10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। राम रहीम को यह दोनों सजाएं एक के बाद एक भुगतनी होंगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने सोमवार को गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाई। अदालत ने राम रहीम पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की इस राशि में से प्रत्येक पीडि़ता को 14 लाख रुपये दिए जाएंगे। आपको बता दें कि पूरे मामले में कुल 200 सुनवाई हुई और 62 याचिकाएं लगाई गई। पूरे मामले में इंसाफ तक पहुंचने के लिए कुल 37 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
राम रहीम सिंह के खिलाफ दुष्कर्म मामले में कब क्या हुआ
2002 : गुरमीत राम रहीम सिंह के दो महिला शिष्याओं ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को गुमनाम पत्र लिखकर बाबा राम रहीम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया।
जुलाई, 2002 : पूर्व डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की जुलाई, 2002 में रहस्यमय तरीके से हत्या कर दी गई। सिंह की हत्या डेरा के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई, क्योंकि वह संप्रदाय के मुख्यालय में चल रही सारी गतिविधियों के बारे में जानते थे।
अक्टूबर, 2002 : सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की डेरा के कार्यकर्ताओं द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्होंने अपने स्थानीय अखबार पूरा सच में सिरसा के पास स्थित डेरा के मुख्यालय में चल रही संदेहपूर्ण गतिविधियों के बारे में लिखा था।
नवंबर, 2003 : डेरा प्रमुख द्वारा साध्वियों के साथ किए गए दुष्कर्म के मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए।
दिसंबर, 2003 : डेरा प्रमुख के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू की।
जुलाई, 2007 : दुष्कर्म मामले में डेरा प्रमुख के खिलाफ सीबीआई ने आरोप-पत्र दाखिल किया।
2007-17 : दुष्कर्म मामले में 10 साल के दौरान करीब 200 बार सुनवाई हुई। निचली अदालत (पहले अंबाला और हरियाणा में स्थित) द्वारा दी गई जमानत पर डेरा प्रमुख जेल से बाहर रहे। डेरा प्रमुख ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिस कारण ट्रायल कोर्ट (विशेष सीबीआई अदालत) में चल रही सुनवाई में देरी हुई।
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