नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को पांच मार्क्सवादी चिंतकों की नजरबंदी की अवधि बढ़ा दी। इन कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से कथित सम्बंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने इन्हें इनके घरों में नजरबंद रखने के अपने अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितम्बर को सूचीबद्ध कर दी। अदालत को सूचित किया गया कि पहले गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं में से एक सुरेंद्र गडलिंग की पत्नी ने इन लोगों की तरफ से गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की है।
अदालत से कहा गया कि हस्तक्षेप अर्जी को रिट याचिका के रूप में माना जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय इतिहासकार रोमिला थापर व कार्यकर्ता माजा दारुवाला की तरफ से दायर कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। महाराष्ट्र पुलिस ने सुधा भारद्वाज, वरवर राव, गौतम नवलखा, वरनॉन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा को अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार किया था।
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