कहते हैं कि प्रदोष व्रत जब सोमवार को आता है तो उसे सोम
प्रदोष कहते हैं। मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष और शनिवार के
दिन पड़ने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं। प्रदोष व्रत अत्यंत फलकारी
होता है। संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत किया जाता है।
ग्रंथों
के अनुसार केवल तीन महीनों से महादेव के इस व्रत को पूरी शिददत के साथ
करने से संतान सुख के योग बनने लगते हैं और सौभाग्य व प्रतिष्ठा में भी
बढ़ोत्तरी होती है।
प्रदोष व्रत के दिन सूर्य उदय से पूर्व उठकर हो सके तो गंगा स्नान या फिर
किसी नदी में स्नान करना चाहिये। अन्यथा घर में ही स्नान करके भगवान शिव की
उपासना करना चाहिये।
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