अगर जातक संतानहीनता की मार से गुजर रहा हो और और सभी कोशिशों के बाद भी
संतान के योग नहीं बन पा रहे हों तो केवल एक ही उपाय है। इस खास देव की
पूजा-आराधना करके यदि व्रत रखा जाए तो केवल 3 महीनों में ही फल मिल जाएगा
और योग्य संतान आपके आंगन में खेलने लगेगी।
धार्मिक
ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की आराधना और उन्हें प्रसन्न करने के लिये
प्रदोष व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। यह व्रत चन्द्र मास की दोनों
त्रयोदशी के दिन किया जाता है। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय
होता है। दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता
है। प्रदोष व्रत से कई दोष की मुक्ति और संकटों का निवारण होता है।
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