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अब SC में दर्ज करा सकते हैं ऑनलाइन याचिका,मोदी ने लॉन्च की ICMIS

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को भारतीय न्यायपालिका में डिजिटल युग की शुरुआत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय को कागजरहित बनाने के लिए इंटिग्रेटिड केस मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (आईसीएमआईएस) लॉन्च किया। आईसीएमआईएस मामलों की डिजिटल फाइलिंग यानी ई-फाइलिंग में मदद करती है और वादियों को ऑनलाइन सूचना हासिल करने की सुविधा प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन में एक समारोह में देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में आईसीएमआईएस को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि क्वांटम के रूप में परिणाम कैसा आता है वह अलग बात है, लेकिन यह सेंस ऑफ रिस्पॉस्बिलिटी का बल देता है और सामान्य नागरिक के मन में भी विश्वास पैदा होता है। न्यू इंडिया के लिए यह विश्वास जरूरी है। और इसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूं।

मोदी ने कहा, जब तक अखबार हाथ में लेकर नहीं पढ़ते, तब तक संतोष नहीं होता। आज के बच्चे मोबाइल पर अखबार पढ़ लेते हैं। जो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करता, वह नई व्यवस्था में आईसोलेट हो जाता है। जेनरेशन गैप की प्रॉब्लम है। इसे कोपअप करना होगा। मेरे हिसाब से ई-गवर्नेंस को जीवन के हर क्षेत्र में कैसे लाएं? मोदी ने कहा, हम मंगल पर सबसे कम खर्च में गए। एक किलोमीटर सात रुपए में गए। दुनिया में हॉलीवुड की फिल्म पर जितना खर्च होता है हम उतने में मार्स पर पहुंचे हैं। आज जस्टिस सिस्टम में खासकर क्राइम में न्याय की संभावना बढ़ गई है। मोबाइल इतने सबूत छोडक़र जाता है। सीसीटीवी कैमरा सबूत देता है। टेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस इसमें अहम साबित हो सकता है। टेक्नोलॉजी से क्रिकेट में डिसीजन और बेहतर होने लगे। थर्ड अंपायर से फैसला होने लगा लेकिन इससे अंपायर की नौकरी नहीं गई।

स्मार्टफोन्स वाले लोग अब भी डायरियां लेकर चलते हैं...

मोदी ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के प्रसार में संसाधनों की कमी नहीं है, बल्कि लोगों की मानसिकता इसमें रुकावटें डाल रही है। समस्या बजट से ज्यादा लोगों की मानसिकता की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्मार्टफोन्स लेकर चलने वाले लोग अब भी संपर्क विवरणों के लिए डायरियां साथ लेकर चलते हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी से हम 30 वर्षो में ही वह पा सकते हैं, जिसे पाने में लोगों को हजारों वर्ष लग गए। उन्होंने कहा कि जब हम एक ए4 साइज के पेपर का इस्तेमाल करते हैं, तो हम यह नहीं सोचते कि ऐसे एक कागज को बनाने के लिए 10 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। इसलिए ई-कामकाज करने से पानी, वनों, ऊर्जा और अन्य संसाधनों को बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इन संसाधनों को गरीबों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने वकीलों से देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को कानूनी मदद प्रदान करने के लिए आगे आने का आग्रह भी किया।

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