मंडी। देश में हर साल 50 हजार लोग अपने घुटनों का आपरेशन करवाकर उन्हें बदलवा रहे हैं और इस संख्या में हर साल 30 साल की बढ़ौतरी होती जा रही है। ज्यादा वजन घुटनों के दर्द को बढ़ाता है और घुटनों को बदलने की नौबत आने का यह भी एक बड़ा कारण है। वजन को कम करके व व्यायाम से घुटने के दर्द में कमी की जा सकती है। यह बात फोर्टिस अस्पताल मोहाली के हड्डी रोग एवं जोड़ प्रतिस्थापन विभाग के निदेशक डॉ. रमेश के सेन ने शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही। इस मौके पर उन्होंने बताया कि नी रिपलेसमेंट करवा चुके दुनियाभर के मरीज़ों का 20 साल से भी ज्यादा का फॉलोअप डेटा बताता है कि ज्यादातर मरीज़ सर्जरी के बाद बेहतर जीवन व्यतीत करते हैं और इसमें भारत भी अब पीछे नहीं है। डॉ, सेन बताते हैं कि उनके 90 फीसदी मरीज़ों का दर्द, उनके काम करने की क्षमता और उनके समस्त जीवनस्तर में तेज़ी से और बहुत अच्छा सुधार देखा गया है जबकि 85 फीसदी मरीज़ सर्जरी के नतीजों से संतुष्ट हैं।
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तीस सालों से भी ज्यादा का अनुभव रखने वाले इन ऑर्थोपेडिक सर्जन का कहना है कि ये शायद भारत में पहली बार है कि ऐसा फॉलो.अप डेटा रिकॉर्ड किया गया है। डॉ सेन ने कुल 288 जॉईंट रिपलेस्मेंट सर्जरीज़ को अंजाम दिया है जिसमें से 153 के एक छोटे समूह में से 22 की सिंगल रिपलेसमेंट सर्जरी हुई और 133 के दोनों घुटने प्रतिस्थापित किए गए।
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