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जयपुर। सत्ता परिवर्तन के साथ ही भजनलाल सरकार ने भले ही नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन विभाग में तत्कालीन मंत्री शांति धारीवाल के खास सिपहसालार रिटायर्ड आरएएस, आरएमएस, प्रशासनिक अधिकारी और सलाहकारों को तुरंत प्रभाव से हटाकर जनता में सही मैसेज देने की कोशिश की हो। लेकिन, स्वायत्त शासन निदेशालय में धारीवाल राज के तीन सलाहकार अभी भी जमे बैठे हैं। इनमें एक सलाहकार महाशय पर तो नगर परिषद प्रतापगढ़ में लैंड फॉर लैंड मामलों में करोड़ों रुपए का खेल करने का आरोप है।
इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास विभाग, निदेशक स्वायत्त शासन विभाग और प्रमुख सचिव कार्मिक विभाग को भेजी गई एक शिकायत के मुताबिक जो लोग अभी भी निदेशालय में बतौर सलाहकार कार्यरत हैं, उनमें मदन कुमार शर्मा, राजेंद्र सिंघल और गोपाल शर्मा के नाम बताए जा रहे हैं।
विभाग का जिम्मा संभालने के तुरंत बाद नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबरमल खर्रा ने पिछली सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल पर अंकुश लगाने का स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने ना केवल लैंड फॉर लैंड के मामलों में जमीन अलॉटमेंट पर रोक लगा दी बल्कि पिछले दिनों में हुए लैंड अलॉटमेंट मामलों की सूची भी मांग ली है। इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेसराज में मनोनीत हुए तमाम पार्षदों की सेवाएं भी तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दी थीं।
बताया जा रहा है कि विभागीय मंत्री खर्रा कुछ मामलों में प्रभावी कार्रवाई करने के मूड में हैं, उनकी डिटेल्स एकत्रित की जा रही हैं। लेकिन, सवाल यह है कि नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबरमल खर्रा क्या जयपुर के ज्वैल्स ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट, चंबल रिवर फ्रंट, जयपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों में हुई गड़बड़ियों और जयपुर, कोटा, अजमेर, भीलवाड़ा, अलवर, उदयपुर के लैंड फॉर लैंड मामलों में प्रभावी कार्रवाई कर पाएंगे।
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