चंडीगढ़। लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में उन्होंने चंडीगढ़ में गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र (आईएफसी) स्थापित करने का आग्रह किया है। तिवारी ने अपने पत्र में इसे उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और भारत को वैश्विक वित्तीय महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
चंडीगढ़ को क्यों चुना गया?
मनीष तिवारी ने चंडीगढ़ को आईएफसी के लिए उपयुक्त बताते हुए कई प्रमुख बिंदु रखे। इसमें रणनीतिक स्थिति और संपर्क सुविधा: चंडीगढ़ उत्तर भारत के केंद्र में स्थित है, जहां से पंजाब, हरियाणा, और हिमाचल प्रदेश तक सीधी पहुंच है। इसके अलावा, यहां उत्कृष्ट सड़क, रेल और हवाई संपर्क मौजूद है।
सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचा : चंडीगढ़ भारत के सबसे योजनाबद्ध शहरों में से एक है। यहां उन्नत शहरी नियोजन, शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं और जीवन स्तर का बेहतर वातावरण उपलब्ध है।
कम लागत और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ : चंडीगढ़, मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों की तुलना में कम अचल संपत्ति और संचालन लागत प्रदान करता है, जो इसे वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है। शिक्षा और नवाचार का केंद्र: यहां स्थित पंजाब विश्वविद्यालय और पीजीआईएमईआर जैसे संस्थान कुशल पेशेवरों की मजबूत पाइपलाइन और अनुसंधान को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर लाभ
मनीष तिवारी ने कहा कि चंडीगढ़ में आईएफसी की स्थापना से न केवल क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह पूरे देश के लिए आर्थिक और सामाजिक लाभ सुनिश्चित करेगा।
आर्थिक वृद्धि : फिनटेक और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देकर यह पहल जीडीपी में वृद्धि करेगी।
संतुलित विकास : इससे दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों पर बोझ कम होगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता : आईएफसी का अत्याधुनिक ढांचा अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों को आकर्षित करेगा।
रोजगार सृजन : इस पहल से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
व्यवहार्यता अध्ययन का आग्रह : तिवारी ने वित्त मंत्री से इस प्रस्ताव पर गहन व्यवहार्यता अध्ययन शुरू करने की अपील की। उन्होंने विश्वास जताया कि यह परियोजना भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदलने और वैश्विक वित्तीय बाजारों में देश की स्थिति को सुदृढ़ करने में मददगार साबित होगी।
उनके इस प्रस्ताव को क्षेत्रीय विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रगति के लिए एक दूरदर्शी कदम माना जा रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस प्रस्ताव पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है।
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