गृह मंत्रालय ने इसी महीने सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव जी की 550वीं
जयंती के अवसर पर मानवीय आधार पर राजोआना की मौत की सजा घटाकर आजीवन
कारावास में बदलने का फैसला किया था, जिसकी बिट्टू ने आलोचना की थी। गृह
मंत्रालय ने इस अवसर पर राजोआना के साथ-साथ देशभर में बंद आठ अन्य सिख
कैदियों को भी विशेष छूट दी थी।
चंडीगढ़ स्थित सिविल सेक्रेटेरिएट में 31
अगस्त, 1995 को आत्मघाती हमले में बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो
गई थी। बेअंत सिंह की हत्या के लिए पंजाब का एक पुलिस अधिकारी आत्मघाती
हमलावर बना था। दिलावर सिंह के असफल होने की स्थिति में राजोआना को उसके
स्थान पर तैयार किया गया था। राजोआना ने बेअंत सिंह की हत्या के लिए 1984
में हुए सिख विरोधी दंगों को कारण बताया था।
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