संजय जायसवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से बिहार में भाजपा की
कार्यकारिणी अब तक तैयार नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश
कार्यकारिणी में इस बार कुछ नए लोगों के चेहरे को शामिल किया जाना है, ऐसे
में इस चुनावी साल में कार्यकारिणी को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।
ऐसे में शाह का यह दौरा इस कार्यकारिणी बनावट को लेकर भी काफी महत्वपूर्ण
माना जा रहा है।
मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सीएए को
मुद्दा बनाकर लोगों के बीच पहुंच रही है, उसका मुकाबला करने के लिए भाजपा
पूरी तरह पार्टी प्रमुख के दौरे की राह देख रही है।
वैसे, भाजपा ने
सदन से लेकर सड़क तक विरोधियों को जवाब देने की राणनीति तय की है। केंद्र
के निर्देश पर जागरूकता अभियान शुरू किया गया है, लेकिन पार्टी नेताओं में
उत्सुकता बनी हुई है कि शाह 16 जनवरी को वैशाली की जनसभा में क्या बोलते
हैं।
शाह के बिहार दौरे के बाद सहयोगी दलों, खासकर जद (यू) के साथ
मनमुटाव की की स्थिति भी खत्म होने की उम्मीद है। भाजपा के एक नेता की
मानें तो शाह पहले ही साफ कर चुके हैं कि बिहार में राजग नीतीश कुमार के
नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा, फिर भी दोनों दल कई मामले को लेकर आमने-सामने
आते रहे हैं।
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