पटना। बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर करीब सभी प्रमुख दलों ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह पार्टी संगठन में जोश भरने के साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जैसे मसलों पर विरोधियों को जवाब देने के लिए 16 जनवरी को बिहार पहुंचेंगे।
माना जाता है कि शाह इस एक दिवसीय दौरे में कई निशाने साधेंगे। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले शाह के प्रदेश आगमन को लेकर जहां पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नया जोश और स्फूर्ति आने की उम्मीद है, वहीं शाह अपने सहयोगी दलों को भी दोस्ती का पाठ पढ़ाने की कोशिश करेंगे।
लोकसभा चुनाव में मिली सफलता और पड़ोसी राज्य झारखंड में सत्ता खो देने के बाद शाह के इस समय बिहार दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि खरमास यानी 15 जनवरी के बाद भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी तैयार होनी है, ऐसे में कहा जा रहा है कि शाह इस पर भी अपनी मुहर लगाएंगे।
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संजय जायसवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से बिहार में भाजपा की
कार्यकारिणी अब तक तैयार नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश
कार्यकारिणी में इस बार कुछ नए लोगों के चेहरे को शामिल किया जाना है, ऐसे
में इस चुनावी साल में कार्यकारिणी को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।
ऐसे में शाह का यह दौरा इस कार्यकारिणी बनावट को लेकर भी काफी महत्वपूर्ण
माना जा रहा है।
मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सीएए को
मुद्दा बनाकर लोगों के बीच पहुंच रही है, उसका मुकाबला करने के लिए भाजपा
पूरी तरह पार्टी प्रमुख के दौरे की राह देख रही है।
वैसे, भाजपा ने
सदन से लेकर सड़क तक विरोधियों को जवाब देने की राणनीति तय की है। केंद्र
के निर्देश पर जागरूकता अभियान शुरू किया गया है, लेकिन पार्टी नेताओं में
उत्सुकता बनी हुई है कि शाह 16 जनवरी को वैशाली की जनसभा में क्या बोलते
हैं।
शाह के बिहार दौरे के बाद सहयोगी दलों, खासकर जद (यू) के साथ
मनमुटाव की की स्थिति भी खत्म होने की उम्मीद है। भाजपा के एक नेता की
मानें तो शाह पहले ही साफ कर चुके हैं कि बिहार में राजग नीतीश कुमार के
नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा, फिर भी दोनों दल कई मामले को लेकर आमने-सामने
आते रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि इस दौरे में शाह अपने ऐसे नेताओं को भी फटकार लगाएंगे जो गठबंधन में बेवजह तनाव पैदा करते हैं।
जद
(यू) ने भले ही संसद में सीएबी पारित कराए जाते समय भाजपा का साथ दिया,
लेकिन जद (यू) उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर व पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा
सहित पार्टी के कई नेता सार्वजनिक तौर पर सीएए का विरोध कर चुके हैं।
भाजपा
और जद (यू) के कई नेताओं का भी मानना है कि ऐसी बयानबाजी गठबंधन के लिए
सही नहीं है। माना जाता है कि शाह इन सभी मामलों को लेकर दोनों दलों के
नेताओं की भ्रांतियां दूर करेंगे।
वैसे दोनों दलों के नेताओं में
अमित शाह के नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद बयानबाजी
थमी है, मगर सीट बंटवारे को लेकर अभी भी दोनों दलों के कई नेताओं के बीच
तलवारें खिंची हैं।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ़ संजय जायसवाल कहते हैं कि
राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह गणतंत्र की धरती वैशाली 16 जनवरी को आ रहे हैं और
यहां जनसभा को संबोधित करेंगे तथा पार्टी के लोगों से बातचीत करेंगे।
उल्लेखनीय
है कि वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में जब जद (यू) अकेले चुनाव लड़ी थी, तब
उसे मात्र दो सीटें हाथ लगी थीं, लेकिन वर्ष 2019 में भाजपा के साथ आ जाने
के बाद जद (यू) ने 16 सीटों पर सफलता पाई। इस चुनाव में भाजपा, जद (यू) और
लोजपा के गठबंधन को 53.22 प्रतिशत मत मिले थे और अकेले जद (यू) को 21.7
प्रतिशत मत हासिल हुए थे।
बहरहाल, कहा जा रहा है कि शाह वैशाली की
रैली में सीएए को लेकर लोगों में फैली भ्रांतियां दूर करेंगे, मगर सच यह भी
है कि शाह अपनी एक दिवसीय बिहार यात्रा के दौरान और भी कई निशाने साधेंगे।
(आईएएनएस)