कोटा (ब्यूरो)। राजस्थान में चुनावी मौसम शुरू हो चुका है। आने वाले कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राजनीति भी नए-नए रंगों से सराबोर होने लगी है। एक ओर कांग्रेस में जहां सत्ता शक्ति केंद्र को लेकर जयपुर से दिल्ली तक घमासान मचा हुआ है। वहीं दूसरी ओर राजनीति के जानकार मौसमी हवाओं का रुख तलाशने में जुट गए हैं।
कोटा ग्रामीण के सांगोद-कनवास इलाके में 20 अगस्त को विधायक एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की होने वाली सभा कई सवालों को समेटे हुए है। कनवास में होने वाली इस सभा के आयोजक कांग्रेस विधायक भरत सिंह हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भरत सिंह ने अपने आवास के बाहर बाकायदा पोस्टर लगाकर लोगों से अपील की है कि चलो-चलो-कनवास चलो। पायलट की सभा में चलो। वे कहते हैं कि लोगों के इस्तेमाल से पार्टी और प्रदेश दोनों का नुकसान हो रहा है। आखिर, इशारों ही इशारों में भरत सिंह किसकी योग्यता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
अब सवाल ये है कि वर्तमान में सचिन पायलट ना तो उप मुख्यमंत्री हैं और ना ही प्रदेशाध्यक्ष है। ऐसे में कनवास में पायलट की इस सभा को क्या शक्ति के नए केंद्र के रूप में समझा जाए या फिर यूं कहें कि कांग्रेस विधायक भरत सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सीधे तौर पर चुनौती दे रहे हैं। क्योंकि सैकड़ों पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग करने के बावजूद उनके पत्रों पर कोई अपेक्षित कार्यवाही देखने को नही मिली है।
यहां तक कि वे मुख्यमंत्री गहलोत पर भी कई बार तंज कस चुके हैं। तो क्या ये सभा राजनीति में अपना नेता चुनने का संकेत है?
गहलोत और पायलट की आपसी अंतर्कलह किसी से छिपी नही है। फिर कनवास में पायलट की सभा के आखिर क्या मायने हैं। हालाकिं भरतसिंह का कहना है कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी इस सभा का निमंत्रण भिजवाया है।
पैसे लेकर नहीं दिया फ्लैट का कब्जा, वी.एन. बिल्डटेक पर लगी 50 हजार रुपए की पेनल्टी
पीएम मोदी ने की ट्रंप से बात, कहा - 'फिर मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं'
महाराष्ट्र में एमवीए ने किया पांच गारंटी का ऐलान, राहुल बोले - 'चुनाव आयोग पर दबाव डालती है सरकार
Daily Horoscope