जैसलमेर । ज्ञान चुप रहता है और भक्ति भगवत में लीन रहती है। सांसारिक जीवन में सबसे बडा पदार्थ भक्ति है। जहां भक्ति है वहां जग है। भक्ति बैकुण्ठ में नहीं बल्कि पृथ्वी पर है क्योंकि भक्ति पृथ्वी की बेटी है। यह उद्गार राष्ट्रीय संत मुरारी बापू ने रामदेवरा में आयोजित रामकथा के छठे दिन गुरूवार को व्यासपीठ से अपने आशीर्वचन प्रदान करते हुए व्यक्त किये।
बापू ने भक्ति के बारें में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि भगवान को भक्ति के भवन में ठहराया जा सकता है। जहां भक्ति होती है , वह भवन ही सुन्दर होता है, वहां भगवान का वास होता है। भगवत चर्चा का इंसान को सदुपयोग करना चाहिए। किसी परम का स्पर्श होते ही बुद्धि शुद्ध हो जाती है। परमात्मा को छोडकर परमात्मा में खो जाना यह सदगुरू का ही प्रभाव है। बापू ने रामकथा के दौरान प्रभु राम के नगर भ्रमण के प्रसंगों को दर्शाया।
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