पाली। कार्तिक मास से सर्दी शुरू होने से श्रद्धालुओं के साथ मंदिरों में विराजमान देवी-देवताओं की दिनचर्या व वस्त्र भी बदल गए हंै। कई मंदिरों में बदलाव की तैयारी है। भगवान के पट तो अभी पूर्व की तरह सुबह पांच या छह बजे ही खुल रहे हैं। शयन के समय में कहीं-कहीं बदलाव हो गया है। भगवान के भोग में भी शीतलता प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थों का स्थान गर्म भोजन ने ले लिया है। निज मंदिरों (प्रभु प्रतिमा के विराजमान होने का स्थल) पर लगे पंखों के साथ कूलर व एसी को बंद कर दिया गया है। शहर के हृदय स्थल में विराजमान सोमनाथ महादेव मंदिर में प्रभु के लिए लगे एसी को बंद कर दिया गया है। पुजारी दीपक रावल ने बताया कि भगवान को रात में शयन कराने पर गर्म कपड़े से विशेष रूप से तैयार जामा ओढ़ाया जाता है। भगवान को भोग भी गर्म खाद्य पदार्थों को लगाया जाता है। वहीं गीता भवन में भगवान की आरती का समय एक घंटा देरी से कर दिया गया है। गर्मी में सुबह साढ़े पांच बजे आरती की जाती थी। वहीं अब साढ़े छह बजे की जाती है। शाम को भी आरती शाम सात बजे की जाती है। संत प्रेमानंद ने बताया कि भगवान को सर्दी में ओढ़ाने के लिए नई रजाई व दोवड़ आदि बनवाई है। वहीं, पानी दरवाजा स्थित रघुनाथ मंदिर में भगवान को रात में शयन कराने पर शॉल व रजाई ओढ़ाई जाती है। पुजारी जगदीशप्रसाद दवे ने बताया कि भगवान को सुबह गुनगुने पानी से स्नान कराया जाता है। भगवान को अब हलवा व गर्म दूध आदि का भोग चढ़ाया जाता है।
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