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और शिक्षा का अभाव
अमेठी में एक मेडिकल कॉलेज, एक ट्रामा सेंटर और विश्वविद्यालय के लिए तरस रहा है। अमेठी से राजीव गांधी चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री रहे तो, संजय गांधी, संजय सिंह, कैप्टन शर्मा, प्रधानमंत्री के बहुत नजदीक रहे, समाजसेवी इक़बाल हैदर बताते है कि अमेठी की जनता को चिकित्सा सुविधाओं के लिए आज भी बहुत दूर जाना पड़ता है। मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ, फैजाबाद, इलाहाबाद पहुंचते-पहुंचते जान तक गवांना पड़ता है। क्षेत्रवासियों ने कई बार प्रयास किया लेकिन अमेठी में ट्रामा सेंटर मेडिकल कॉलेज नहीं खुल सका।पीएम तक दिया अमेठी ने
अमेठी में अक्सर जिन्हें नेतृत्व करने का अवसर दिया वह प्रधानमंत्री और मंत्री बनाये गये, लेकिन अपनी अमेठी को एक मेडिकल कॉलेज, ट्रामा सेंटर और चिकित्सा विश्वविद्यालय नहीं दे सके। यहां स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में बहुत पिछड़ा हुआ है। सैफई या अन्य वीआईपी क्षेत्र के नेताओं के क्षेत्रों जैसी जैसी सुविधाएं अमेठी में नहीं है। यहां सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टर नहीं रहते। सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ कर के दूसरे को दे दिया, लेकिन वह भी अमेठी की मूलभूत जरूरत को पूरा नहीं कर पाये स्मृति ईरानी जो अमेठी से बहुत लगाव रख रही हैं, वह भी साड़ियां बांट कर चली जाती हैंं।
स्मृति ने भी दिखाया ठेंगा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय उनके पास रह चुका है। वह भी चाहती तो अपने मंत्रालय के द्वारा यहां पर विश्वविद्यालय खोल सकती थी, लेकिन उन्होंने भी ऐसा नहीं किया। अमेठी को मेडिकल कॉलेज और बच्चों को पढ़ने के लिए विश्वविद्यालय चाहिये। कहने को तो दो केंद्रीय विद्यालय है, लेकिन वह बीएचएल और एएचएल के लिए है। केंद्रीय विद्यालयों की घोषणा की गयी है, लेकिन अभी कागजों पर ही है। जब की कान्वेंट स्कूलों में आम जनमानस अपने बच्चों को भेज पाने में सक्षम ही नहीं है।
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