जोधपुर। राजस्थान में सडक़ दुर्घटनाओं में अधिकांश मिर्गी की बीमारी से परेशान लोग चपेट में आ रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक पश्चिमी राजस्थान में 4 लाख मिर्गी रोगी हैं और आने वाले समय में इनकी संख्या बढक़र दुगुनी तक हो सकती है। इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग की वजह से थार के मौसम में आ रहे एक्सट्रीम बदलावों की वजह से भी मिर्गी होने की आशंका प्रबल होती जा रही है।
सडक़ दुर्घटना में सिर पर चोट लगने के बाद अगर घायल आधे घण्टे बेहोश रहता है तो उसके मिर्गी होने की आशंका प्रबल हो जाती है। चोट से उसके सिर के न्यूरोन के चारों तरफ की कोई परत टूट फूट जाती है और मस्तिष्क का करंट खुद मस्तिष्क को ही झटके देने लगता है। रिपोर्ट के मुताबिक सिर पर चोट लगने वाले 96 फीसदी घायलों को मिर्गी हुई है।
न्यूरो सर्जन डॉ. नगेंद्र शर्मा की माने तो मिर्गी कभी खत्म नहीं होगी और लगातार बढ़ रही सडक़ दुर्घटनाओं से इसका ग्राफ बढ़ रहा है। मारवाड़ में अभी 4 फीसदी मिर्गी रोगी है जो बढक़र सात फीसदी तक हो सकते हैं। ऐसे में लोगों को सावधान करने की आवश्यकता है जिससे कम से कम लोग कालकवलित हों ।
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