कहानी :-
फिल्म की कहानी शुरू होती है मध्य प्रदेश के
महेश्वर बेस्ड से जहां का रहने वाला साधारण सा इंसान लक्ष्मीकांत चौहान
(अक्षय कुमार) रहता है। लक्ष्मीकांत चौहान में एक अच्छाई है कि वह सबकी मदद
के लिए हमेशा तैयार रहता है। इसी वजह से लोग उसे पागल कहते हैं। फिर उसकी
शादी गायत्री (राधिका आप्टे) से होती है, शादी के बाद उसे महिलाओं में होने
वाली माहवारी के बारे में पता चलता है। वो गायत्री को होने वाली
परेशानियों को काफी करीब से देखता है। एक दिन वो अपनी पत्नी को एक मैला
कुचैला सा कपड़ा छिपाकर ले जाते हुए देखता है। वो कपड़ा इतना गंदा होता है
कि उससे वो कभी अपनी साइकिल साफ करने का भी न सोच सके। लक्ष्मीकांत की लाख
कोशिश के बावजूद उसकी पत्नी गंदे कपडे के बदले सैनेट्री नैपकिन इस्तेमाल
नहीं करती है और इसके पीछे की बडी वजह होती है नैपकिन का महंगा होना और
उससे जुडी रूढ़ीवादी परम्परा की कहानियां।
बस, उसी दिन लक्ष्मीकांत तय
कर लेता है कि वो औरतों की माहवारी के लिए कुछ ऐसा करेगा जिससे उनकी तकलीफ
को कम किया जा सके। लक्ष्मीकांत अपनी बहन, पत्नी और मां के लिए पेड बनाने
की कोशिश करता है। लेकिन उसकी इस हरकत को लोग पागलपन कहते हैं। लोगों को ये
एक जघन्य अपराध लगता है। गांव के सभी लोग इसका मिलकर विरोध करते हैं।
लक्ष्मीकांत की पत्नी गायत्री भी उसे छोड़ के चली जाती है और उसके बाद बात
तलाक पर भी आ जाती है।
फिर अपने जज्बे को पूरा करने के लिए लक्ष्मीकांत
गांव से शहर जाता है जहां उसकी मुलाकात आईआईटी के प्रोफेसर की बेटी परी
(सोनम कपूर) से होती है। तब उसके जुनून को एक तरह से पंछ मिल जाते हैं।
उसके बाद कहानी में एक ट्विस्ट आता है। जिसे जानने के लिए आपका सिनेमाघर
जाना जरूरी है। क्योंकि फिल्म वाकई शानदार है।
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