शिवम तिवारी,सीतापुर। जिले के ग्रामीण अंचलों की स्थलीय सच्चाई को बयां करने के लिए यह तस्वीर पर्याप्त है। यह नजारा बिसवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। जहां पर उल्टी और दस्त से पीड़ित इन मरीजों का उपचार तपिश और लू भरे इस मौसम में टीन शेड के नीचे किया जा रहा है। बताते चलें कि बिसवां सीएचसी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ ¨सह के पैतृक गांव खंभापुरवा से तीन किमी दूर है। यह तस्वीर तो प्रतीक मात्र है, जिले की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की। जब बिसवां सीएचसी का नजारा यह है तो जिले के दूसरे स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि सीएचसी पर 30 बेड होते हैं। ऐसे में यह मरीज टीनशेड के नीचे जमीन पर लेटकर इलाज करा रहे हैं। इस बाबत सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशीष शुक्ला ने बताया कि कई बार मरीज स्वेच्छा से जमीन पर लेट जाते हैं। हालांकि उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा कि इस मामले की उन्हें जानकारी नहीं है। इस घटनाक्रम से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की गाड़ी पटरी से उतर चुकी है। जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्रामीणअंचलों तक चिकित्सकों और दवाइयों का टोटा है। चिकित्सा उपकरणों के अभाव और मेडिकल कर्मियों की कमी के चलते मरीजों को समय से और समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में मरीज पीएचसी से सीएचसी, सीएचसी से जिला अस्पताल और जिला अस्पताल से लखनऊ या फिर दूसरे महानगरों के चक्कर काटने को विवश हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद सालों से रिक्त चल रहे हैं। एएनएम केंद्रों और उप स्वास्थ्य केंद्रों पर सालों से ताले लटक रहे हैं। ह्रदय रोगियों के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं, ट्रामा सेंटर चालू होने की राह देख रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जिले की कुल आबादी करीब 44 लाख 83 हजार 992 है। इनके इलाज के लिए एक जिला और एक जिला महिला चिकित्सालय के अलावा 20 सीएचसी, 60 पीएचसी, छह शहरी पीएचसी और 468 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से ग्रामीणअंचलों की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं। पीएचसी की कौन कहे जब जिला चिकित्सालय और सीएचसी पर ही विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। जिले भर में डॉक्टरों के कुल 248 पदों के सापेक्ष मौजूदा समय में 163 पदों पर तैनाती है। सबसे बुरा हाल जिला महिला चिकित्सालय का है, यहां पर चिकित्सकों के 16 पदों के मुकाबले मात्र तीन डॉक्टरों की ही तैनाती है। ग्रामीणअंचलों के स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल 204 के मुकाबले 140 डॉक्टरों की ही तैनाती है। इसके अलावा जिले भर में 124 एएनएम के पद भी रिक्त हैं। ऐसे में लोग निजी डॉक्टरों के सहारे हैं। जिले में करीब 255 निजी चिकित्सक हैं। जिनमें से 60 एमबीबीएस हैं।
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