मथुरा। मथुरा के छटीकरा, वृन्दावन रोड पर स्थित डालमिया फार्म हाउस में हरे पेड़ों के अवैध कटान का मामला सामने आया है, जिसने कानून की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 37 गरीब मजदूरों को हिरासत में लिया है, जबकि असली दोषी—भू माफिया और अमीर मालिक—खुलेआम घूम रहे हैं।
यह घटना इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे अमीरों के आगे कानून बेबस नजर आता है, और गरीबों को बलि का बकरा बनाया जाता है। मजदूरों को हिरासत में लेकर पुलिस ने दिखा दिया कि कैसे कानूनी तंत्र में आर्थिक असमानता और प्रभावशाली लोगों का दबदबा होता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस घटनाक्रम में अमीरों को फिल्मी अंदाज में जमानत मिल गई, जबकि गरीब मजदूर, जो केवल अपनी रोजी-रोटी के लिए काम कर रहे थे, कानून की भेंट चढ़ गए। यह परिस्थिति कुदरत का कानून फिल्म के उस गाने की याद दिलाती है, जिसमें कहा गया है, "चारों तरफ अंधेर मचा है, पानी महंगा सस्ता खून।"
गरीबों की जुबानी सुनें तो वे अपनी बेबसी और लाचारी बयान करते हैं। वे सिर्फ काम करने आए थे, उन्हें यह नहीं पता था कि वे अवैध कटान में फंस जाएंगे। कानून का नाम लेकर उन्हें हिरासत में लिया गया, जबकि असली अपराधी पर्दे के पीछे छिपे हुए हैं।
यह घटना दिखाती है कि कैसे अमीरों और गरीबों के लिए अलग-अलग कानून काम करता है—अमीरों के लिए कानून महज एक दिखावा बनकर रह गया है, जबकि गरीबों के लिए यह सख्त सजा का माध्यम बन जाता है। इस न्याय व्यवस्था की यह बुनियादी विफलता है, जहां पैसे और ताकत के सामने न्याय कमज़ोर साबित होता है।
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