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लखनऊ । सीतापुर जेल में रेप के आरोप में बंद बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर प्रदेश भाजपा संगठन कार्यवाही को लेकर दो फाड़ में बंटी नजर आ रही है। सेंगर की गिनती दबंग विधायकों में होती है और वो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता भी नहीं हैं, बल्कि हमेशा सत्ता के साथ रहने वाले दलबदलू नेता माने जाते है, जो 2017 में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। बता दे कि 28 जुलाई को हुई सड़क दुर्घटना में रेप पीड़िता की कार का ट्रक से एक्सिडेंट हुआ और उसमें बैठी उसकी चाची और मौसी की मौत हो गयी। वहीं पीड़िता की हालत गंभीर है और वह लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भर्ती है। इस दुर्घटना या साजिश के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा पर कुलदीप सेंगर को पार्टी से निकालने का चौतरफा दबाव बन रहा है।
वहीं मंगलवार को भाजपा की उप्र इकाई
के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि कुलदीप सिंह सेंगर को पहले ही
पार्टी से निलंबित किया जा चुका है।
स्वतंत्र देव सिंह ने पत्रकारों को बताया, "भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर
पहले से ही पार्टी से निलंबित चल रहे हैं। मेरी पूर्व अध्यक्ष से भी बात
हुई है, पार्टी कुलदीप सेंगर को कभी बचाने के पक्ष में नही रही है। पार्टी
पहले ही कुलदीप सेंगर को निलंबित कर चुकी है। सरकार निष्पक्ष जांच के पक्ष
में है, इसीलिए सीबीआई को जांच सौंपी गई है।"
स्वतंत्र सिंह भले ही कुलदीप सिंह सेंगर को निलंबित किए जाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन भाजपा ने इसकी सूचना सार्वजनिक नहीं की थी।
इस घटना के बाद प्रदेश में सिसायत और गर्मा गई है, सभी विपक्षी दल इस घटना के बहाने प्रदेश सरकार को घेरने में लगे है। पीड़ित परिवार इस घटना को हादसा नहीं बल्कि हत्या बता रही है। यूपी सरकार ने भी इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है।
गौरतलब है कि भाजपा ने अभी तक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निष्कासन के ऊपर कोई फैसला नहीं किया है। जबकि कांग्रेस व अन्य दलों के साथ भाजपा के अंदर से भी सेंगर पर कार्यवाही की आवाज उठने लगी है। जहाँ भाजपा अपने को ‘पार्टी विथ डिफ़्रेंस’ कहती है। वहीं प्रदेश में 403 सीटों वाली विधान सभा में अकेले बीजेपी के 312 विधायक है। इस प्रचंड बहुमत के बावजूद भाजपा एक विधायक को पार्टी से निकालने से क्यो घबरा रही है, सभी ये प्रश्न पूँछ रहे है। एक तरफ तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन्वेस्टर समिट के द्वारा प्रदेश में अच्छी कानून व्यवस्था के बल पर निवेश लाने की बात करते है वहीं इस प्रकार की घटना बीजीपी और प्रदेश सरकार की छवि को धूमिल करती है। जानकारों के मुताबिक शायद क्षत्रिय वोट बैंक की नाराजगी के चलते पार्टी आरोपी विधायक पर कार्यवाही से बच रही है। हालांकि इस महीने बीजेपी के केन्द्रीय नेत्रत्व ने असलहों और शराब के साथ एक विडियो में नजर आए उत्तराखंड के बीजेपी विधायक प्रणव चैंपियन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था लेकिन सेंगर पर कार्यवाही में देरी सभी को हैरान कर रही है। शायद इसका कारण ये है कि सेंगर के दबंग विधायक होने के साथ प्रदेश की राजनीति में उनके बिरादरी के दबंग विधायकों व मंत्रियों से अच्छे रिश्तो का होना हैं। भाजपा के लिए सेंगर अब गले की फांस बनते नजर आ रहे है। भाजपा को अब जल्द ही पार्टी में सेंगर की सदस्यता को लेकर कोई फैसला करना होगा।
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