सीकर। देश की चुनौतियों से लेकर युवाओं की दुनियाभर में लहराती विजय पताका की गाथाएं...तो कभी प्रतियोगिताओं में हुनर दिखाते बाल कलाकार और साहित्य की सजी महफिल...। केशव स्मृति न्यास द्वारा आयोजित इस पांच दिवसीय वैचारिक मंथन के महाकुंभ शेखावाटी साहित्य संगम के शुभारम्भ पर ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। इस गरिमामय समारोह का आगाज हरियाणा सरकार के राज्य सूचना आयुक्त प्रदीप शेखावत और आरएसएस के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख डॉ महावीर प्रसाद ने किया।
उदघाटन सत्र में दोनों वक्ताओं ने भविष्य का भारत वर्तमान के संदर्भ के परिपेक्ष में विषय पर अपने विचार रखे।
प्रारंभिक सत्र में प्रदीप शेखावत ने कहा कि विश्व कल्याण की बात करने वाला भारत सदियों से संपूर्ण विश्व को एक परिवार समझता है। जी-20 सम्मेलन में भारत ने वैश्विक जलवायु, पर्यावरण, स्वास्थ्य और मोटा अनाज सहित अन्य मुद्दों पर अपनी बात रखी, जिसे विश्व ने माना और अपनाया है। हम स्वयं को बदल लेंगे तो राष्ट्र अपने आप बदल जाएगा। पहले स्वंय, फिर परिवार और समाज को बदलेंगे तो राष्ट्र का विकास स्वत: हो जाएगा। पिछले दशकों में हमारे आत्म गौरव और स्व के भाव में कमजोरी आई है, हमें उसे दूर करना होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सूचना आयुक्त शेखावत ने कहा कि भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन लेकिन देश में चुनौतियां कम नहीं हुई, भाषा, वेशभूषा व क्षेत्रवाद के आधार पर देश को बांटा गया। देश के भीतर रहने वाली कुछ ताकतें अपने निजी स्वार्थवश देश को बांट रही हैं। वैचारिक मानसिकता को कमजोर करना ही देश को कमजोर करना है। हमारी शक्ति और श्रेष्ठता को छुपा दिया गया है।
कुछ लोगों की ओर से नकारात्मक नेरैटिव को सोशल मीडिया के जरिए प्रचारित किया जा रहा है। विदेशाें में बैठे लोग भारत में नैरेटिव स्थापित करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में देश में तक्षशिला व नालंदा जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हुए, जिनमें उस दौरान ही करीब 1500 विदेश छात्र अध्ययन करते थे। हम विश्व कल्याण की बात ही नहीं करते बल्कि इसे व्यवहार में जी रहे हैं।
अमेरिका के विवि में संस्कृत व हिंदी के छात्र 40 प्रतिशत बढ़ेः
ये सनातन की शक्ति ही है कि हम नया व समृद्ध भारत बनाकर फिर से खड़े हो रहे हैं। यहां तक कि दुनिया के विकसित देश भी भारत को देखकर अपनी नीतियां बदल रहे हैं। कुछ दशकों पूर्व जहां गैस सिलेंडर, टेलीफोन, बिजली कनेक्शन, स्कूटर,कार तक के लिए लाइनें लगती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अमेरिका के विश्वविद्यालयों में कोरोना काल को छोड़कर विगत पांच साल में हिंदी व संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। हम स्वदेशी हथियार, रॉकेट लॉन्चर सहित सभी तरह के अत्याधुनिक हथियार बनाकर विश्व के विभिन्न देशों को दे रहे हैं।
जनसंख्या को वोट की राजनीति के आधार पर देखना गलतः
आरएसएस के क्षेत्रीय सह प्रचार प्रमुख महावीर प्रसाद ने कहा कि समृद्ध भारत बनाने के लिए हमें सबका साथ सबका विकास व समानता के साथ विकास के पथ पर चलना होगा। उन्होंने कहा कि भारत में 15 वर्ष से 45 वर्ष तक की कार्यशील जनसंख्या अधिक है, और यही हमारी ताकत है। दो बच्चों का परिवार सुखी नहीं, दुखी परिवार है। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या भारत के लिए अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है। भारत में ऐसी जनसंख्या नीति बननी चाहिए जो कार्यशील हो, जबकि कुछ लाेग जनसंख्या को सिर्फ वोट की राजनीति से जोड़कर ही देखते आ रहे हैं।
1986 की शिक्षा नीतियों के चलते देश में बढ़ी बेरोजगारीः
हर राष्ट्र अपनी मातृभाषा में शिक्षा देता है, हमारी शिक्षा व्यक्ति निर्माण की थी। आज हमने शिक्षा को कॉमर्शियल बना दिया है। वर्तमान में शिक्षा की स्थिति यह है कि व्यक्ति शिक्षा से सेवक या नौकर ही बनना चाहता है, वह साहसी उद्धमी नहीं बनना चाहते हैं। शिक्षक को दायित्व बोध होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज, शिक्षा, शिक्षक और चिंतक सदैव एक धारा में चलने चाहिए। आज देश में जो बेरोजगारी देख रहे हैं, वह 1986 की शिक्षा नीतियों के चलते हुई है।
अगले सत्र में डॉ. संदीप, डॉ. रुचि श्रीमाली ने नशा मतांतरण एवं समाज का भविष्य विषय पर विचार व्यक्त किये। आखिरी सत्र में डॉ. सुनिधि, डॉ. पुरुषोत्तम ने दैनिक जीवन में आहार एवं पादपों की भूमिका और अंतिम सत्र में संजीव राज सिंह परमार एवं अंशु हर्ष ने प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भाषा की भूमिका पर अपनी बात रखी।
मजदूरों की कमी से श्रीराम मंदिर निर्माण में हो सकती है तीन महीने की देरी : नृपेंद्र मिश्र
सैमसन के तूफान में उड़ा दक्षिण अफ्रीका, भारत 61 रन से जीता
हिजबुल्लाह ने मध्य, उत्तरी इजरायल पर पांच रॉकेट दागे : सूत्र
Daily Horoscope