जयपुर। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में वैचारिक प्रवाह जरूरी है। शिक्षा को राज्याश्रित के बजाय समाज आश्रित किए जाने, स्वतंत्र चेत्ता के रूप में विकसित किए जाने तथा शिक्षित बेरोजगारी की मानसिकता पर गहरे से चिंतन किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा को सर्वव्यापी किए जाने, उसकी स्वतंत्र चेतना के लिए भामाशाह बड़ा सहयोग कर सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह बात विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने गुरुवार को बिड़ला सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में इस बात पर चिंतन होना चाहिए कि कैसे समग्र शिक्षा में सभी को रोजगार मिले। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप को भामाशाह ने तब अपना सर्वस्व अर्पण किया था, जब मेवाड़ को उसकी सर्वाधिक आवश्यकता थी। उन्होंने राज्य में शिक्षा क्षेत्र में सहयोग करने वाले भामाशाहों और प्रेरकों का अभिनंदन करते हुए कहा कि धन की महिमा पुण्य और कल्याणा के कार्यों में ही है।
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