उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण 15 करोड़ श्रमिकों की आजीविका
प्रभावित हुई है और लघु व मध्यम उद्योग पूरी तरह चौपट हो गए हैं, जो कृषि
के साथ भारत की अर्थव्यवथा की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि नोट बदलाने के दौरान
कतारों में खड़े होने से 100 से ज्यादा मौतें हुई हैं। इसके अलावा नए
नोटों की छपाई में खर्चे में पिछले वर्ष की तुलना में 133 प्रतिशत बढ़ोतरी
हुई। ये भी पढ़ें - यहां मुस्लिम है देवी मां का पुजारी, मां की अप्रसन्नता पर पानी हो जाता है लाल
पायलट ने कहा कि नोटबंदी के समय सरकार का एक
ओर दावा था कि इससे बचत की प्रवृत्ति बढ़ेगी, जबकि इसके विपरीत आम जनता
में मुद्रा के प्रति विश्वास घटने से बचत की प्रवृत्ति को आघात पहुंचा है,
जो इस बात से साबित होता है कि बैंकों में जमा राशि में 2016 से 2018 के
बीच में 15 हजार करोड़ रुपए की कमी आई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह भी
दावा किया था कि चलन में बड़ी करेंसी के नोट बंद हो जाएंगे, परंतु ऐसा
देखने को नहीं मिला है।
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