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भू-जल संग्रहण की नवीनतम तकनीकों को उपयोग कर भू-जल वृद्धि पर देना होगा ध्यान

Attention will have to be given to increasing ground water by using the latest techniques of ground water storage - Jaipur News in Hindi

जल को अमृत मानकर सहेजने की हैं आवश्यकता, - प्रमुख शासन सचिव भू-जल विभाग


जयपुर, । भू-जल विभाग के प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए सावंत ने कहा कि जल को अमृत मानकर सहेजने के प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिला, ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तर तक समन्वित प्रयासों से भू-जल संग्रहण की नवीनतम तकनीकों को उपयोग कर भू-जल वृद्धि पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

सावंत गुरुवार को दुर्गापुरा स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र में अटल भू-जल योजना अंतर्गत जल प्रबंधन की नवीनतम तकनीकों पर आधारित राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि भू-जल जमीन के नीचे स्थित एक संपदा है जो हमें दिखाई नहीं देती है। जल का प्रश्न हमारे अस्तित्व के प्रश्न से जुड़ा है। पुराने समय में आधुनिक तकनीक के न होने के कारण भू-जल का दोहन भी कम होता था और मानव की आवश्यकता के लिए भरपूर जल उपलब्ध था लेकिन नवीनतम तकनीक से भूजल का अत्यधिक दोहन मानव के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर रहा है। इसलिए अभी से ही भू-जल संरक्षण के प्रयासों पर चिंतन और मंथन करने की जरूरत है।

सावंत ने कहा कि राजस्थान के 74 प्रतिशत ब्लॉक भू-जल की दृष्टि से अति दोहित श्रेणी में आते हैं। वहीं पूरा राजस्थान नॉन सस्टेनेबल जोन में आता है। भू-जल की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि गत वर्ष 17 बिलियन मीटर क्यूब जल का दोहन किया गया वहीं कुदरत ने 12 बिलियन मीटर क्यूब जल धरती को वापस लौटाया यानि कि मनुष्य ने प्राप्त जल की तुलना में डेढ़ गुना जल का अधिक दोहन किया है।

उन्होंने कहा कि जितने भू-जल का दोहन किया जाता है उसका 83 प्रतिशत भाग कृषि कार्य में, 10-11 प्रतिशत पेयजल में और शेष जल उद्योग में काम में लिया जाता है। हमारा प्रदेश कृषि आधारित प्रदेश है अतः सर्वाधिक भू-जल का उपयोग कृषि कार्य में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिल रहा है वैसे-वैसे ही औद्योगिक कार्यों के लिए भी जल की मांग बढ़ती जा रही है।

प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि वर्तमान समय में सबसे महत्वपूर्ण योजना अटल भू-जल योजना है जो भू-जल बचाने के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने का काम भी कर रही है। उन्होंने कहा कि जिला, ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तर तक भू-जल को बचाने के मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि भू-जल की मैपिंग जैसी नवीनतम तकनीक का उपयोग कर पता लगाया जाए कि किन स्थानों पर भूजल रिचार्ज किए जाने की आवश्यकता है और भू-जल रिचार्ज करना सफल होगा। उन्होंने कहा कि नियमानुसार 225 वर्ग मीटर से अधिक प्लॉट पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचना का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भू-जल संग्रहण के साथ जल संग्रहण तकनीक पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही पानी के अपव्यय रोकना बहुत जरूरी है।

अटल भू-जल योजना के राज्य नोडल अधिकारी डॉ एस एन भावे ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि अटल भू-जल योजना 01 अप्रैल 2022 से देश के 7 राज्यों में संचालित है। जिन राज्यों में पेयजल संकट है वहां इस योजना का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह योजना देश के 86 जिलों और प्रदेश के 21 जिलों में संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 65 प्रतिशत जनसंख्या के रोजगार का माध्यम कृषि कार्य है। कृषि के लिए पानी की महती आवश्यकता है। इसलिए गिरते भू-जल स्तर को रोकना अत्यंत जरूरी है।

कार्यशाला में भू-जल विभाग के मुख्य अभियंता सूरजभान सिंह, अधीक्षण भूजल वैज्ञानिक डॉ विनय भारद्वाज सहित अन्य प्रतिभागियों ने भी विचार व्यक्त किए। इस दौरान अटल भू-जल योजना के 21 जिलों से राज्य एवं जिला स्तरीय सहभागी विभागों के नोडल अधिकारी, जिला ब्लाक व ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारी, कर्मचारी, विषय विशेषज्ञों तथा भू-जल विभाग के अधिकारियों सहित लगभग 350 प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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Web Title-Attention will have to be given to increasing ground water by using the latest techniques of ground water storage
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