कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री मधु आचार्य ने कहा कि राज अंतिम सांसे
ले रहा है फिर भी मान्यता नहीं मिली ऐसे दौर में राजेन्द्रजी की पुस्तकें
राजस्थानी में आना स्वागत योग्य है। राजस्थानी भाषा को समाज से मान्यता
मिली हुई है। कविताओं के शीर्षक अलग तरह के हैं जो सराहनीय है। राजस्थानी
कविता उतर आधुनिकता में कदम रख रही है। ये भी पढ़ें - शर्त या पागलपंथी!निगली एक फुट लंबी संडासी
लोकार्पण समारोह के
प्रारम्भ में साहित्यकार-व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि यह बीकानेर के
लिए सुख देने वाला समय है शर्मा ने कहा कि राजेन्द्र जोशी अपने पहले कहानी
संग्रह अगाडी के माध्यम से राजस्थानी कहानी के क्षेत्र में अपनी खास पहचान
बना चुके हैं। अब दूसरा कहानी संग्रह जुम्मे की नमाज में सम्मिलित कहानियों
की भाव भूमि वैविध्यपूर्ण है। यह कहानी संग्रह उनकी कहानी यात्रा का अगला
पडाव है।
लेखक की यह विशेषता है कि वे हमारे आस-पास के जाने-पहचाने
पात्रों, उनके दु:ख-सुख, सपनों-आकांक्षाओं को जानने के लिए उनके अंतर्मन
में प्रवेश करके कहानियां रचते हैं इसलिए ये कहानियां एक ही बैठक में पढने
के लिए पाठक को विवश कर देती है। इसी के साथ हिन्दी में बतौर कवि अपनी
महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराकर अपने पहले कविता संग्रह “कद आवैला खरूंट”
के माध्यम से राजस्थानी कविता में शानदार दस्तक दी है । ये कविताएं भाव,
विचार और शिल्प के स्तर पर नवीनता लिए होने से आधुनिक राजस्थानी कविता में
विशिष्ठ पहचान बनाएगी । कहानी संग्रह “जुम्मे री नमाज” पर पत्र वाचन करते
हुए कथाकार-सम्पादक हरीश बी शर्मा ने कहा कि बारह कहानियों का यह संग्रह एक
युग का कहन है।
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